स्मृति पाठ का सारांश | Smriti Class 9 Summary | NCERT Solutions for Class-9 Sanchayan
आज हम आप लोगों को संचयन भाग-1 के कक्षा-9 का पाठ-2 (NCERT Solutions for Class-9 Hindi Sanchayan Bhag-1 Chapter-2) के स्मृति पाठ का सारांश (Smriti Summary) के बारे में बताने जा रहे है जो कि श्री राम शर्मा (Shree Ram Sharma) द्वारा लिखित है। इसके अतिरिक्त यदि आपको और भी NCERT हिन्दी से सम्बन्धित पोस्ट चाहिए तो आप हमारे website के Top Menu में जाकर प्राप्त कर सकते हैं।
‘स्मृति’ कहानी के शीर्षक द्वारा यह स्पष्ट होता है कि प्रस्तुत कहानी लेखक को जीवन भर याद रही। इस कहानी में लेखक और उनके छोटे भाई दोनों ही खेल-कूद में व्यस्त हैं। उन व्यस्तता के क्षणों में ही एक आवाज़ दूर से आती है। एक आदमी ज़ोर से चिल्लाकर लेखक का नाम लेकर पुकारता है और यह संकेत देता है कि बड़े भाई साहब ने उसे बुलाया है। लेखक का हृदय बड़े भाई से पिटने की आशंका से भयभीत हो रहा है। लेखक तुरंत वहाँ से खेल छोड़कर आते हैं और डरते हुए घर में जाते हैं। जब बड़े भाई साहब को लेखक कुछ लिखने में व्यस्त देखते हैं, तब उन्हें तसल्ली होती है कि आज मार खाने की परिस्थिति नहीं बन रही है। लेखक को बड़े भाई से आदेश मिलता है कि ये कुछ चिट्ठियाँ है इनको मक्खनपुर पोस्ट ऑफ़िस में जाकर डाल आना। लेखक तत्क्षण तैयार हो जाते हैं और अपने साथ अपने छोटे भाई को और अपना एक डंडा भी ले लेते हैं। लेखक उस लाठी को नारायण वाहन मानते हैं। आगे जो घटनाक्रम प्रस्तुत है उसमें सचमुच वह लाठी नारायण-वाहन के रूप में सिद्ध होती है।
लेखक काफ़ी तेजी से दौड़ते हुए मक्खनपुर की ओर छोटे भाई के साथ चल पड़ते हैं। दोनों भाई एक ही साँस में गाँव से चार फर्लाग दूर उस कुएँ के पास आ जाते हैं जिसमें एक भयंकर साँप रहता है। वह कुआँ कच्चा है और चौबीस हाथ गहरा है। दोनों भाई उस कुएँ पर पहुँच जाते हैं। बाल-सुलभ कौतुक के चक्कर में फँस कर दोनों भाई कुएँ में साँप का दृश्य देखने के लिए झाँकने लगते हैं। कुएँ झाकने के लिए सिर पर रखी टोपी को बार-बार उतारना पड़ता है जिसमें चिट्ठियाँ सुरक्षित रखी गई
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थीं। दुर्भाग्य से टोपी रखने-उतारने के क्रम में तीनों चिट्ठियाँ कुएँ में गिर जाती हैं। चिट्ठियों के कुएँ में गिर जाने के बाद लेखक की स्थिति काफ़ी दयनीय हो जाती है। लेखक उन चिट्ठियों को गिरते हुए देखकर उसे पकड़ने के लिए कुएँ में ऐसे लपकते हैं जैसे घायल शेर शिकारी को पेड़ पर चढ़ते देखकर उस पर हमला करने लगता है। लेखक की पहुँच से बाहर हो जाने के कारण वे चिट्ठियाँ अंत में कुएँ में गिर जाती हैं।
लेखक के सामने अब दो ही विकल्प शेष रह जाते हैं। या तो उन चिट्ठियों को वह किसी तरकीब से कुएँ से निकाल लें या घर जाकर झूठ बोलें कि तीनों चिट्ठियाँ डाक में डाल दी। लेखक काफ़ी सोच-विचार करने लगे और रोने-धोने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि उन चिट्ठियों को कुएँ से निकालना ही होगा।
कुएँ से चिट्ठी निकालने का काम काफ़ी कठिन था। कुएँ में साँप की उपस्थिति से चिट्ठियों को निकालना मौत के साथ भिड़ने का काम था। इस कहानी में लेखक ने चिट्ठी निकालने की घटना का बहुत ही रोमांचक वर्णन किया है। काफ़ी कष्ट के बाद आखिर लेखक ने कुएँ से चिट्ठियाँ निकाल लीं।
लेखक ने पूरे प्रकरण के अंत में इस पूरी घटना की भयावहता, रोचकता और गंभीरता का कम-से-कम शब्दों में वर्णन किया है-“कितने अच्छे थे वे दिन; उस समय रायफ़ल न थी, डंडा था और डंडे का शिकार कम-से-कम उस साँप का शिकार-रायफल के शिकार से कम रोचक और भयानक न था।”
पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर | Smriti Class 9 Question Answer
प्रश्न 1. भाई के बुलाने पर घर लौटते समय लेखक के मन में किस बात का डर था?
उत्तरः Read More
इस पोस्ट के माध्यम से हम संचयन भाग-1 के कक्षा-9 का पाठ-2 (NCERT Solutions for Class-9 Hindi Sanchayan Bhag-1 Chapter-2) स्मृति पाठ का सारांश (Smriti Summary) के बारे में जाने जो कि श्री राम शर्मा (Shree Ram Sharma) द्वारा लिखित हैं । उम्मीद करती हूँ कि आपको हमारा यह पोस्ट पसंद आया होगा। पोस्ट अच्छा लगा तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूले। किसी भी तरह का प्रश्न हो तो आप हमसे कमेन्ट बॉक्स में पूछ सकतें हैं। साथ ही हमारे Blogs को Follow करे जिससे आपको हमारे हर नए पोस्ट कि Notification मिलते रहे।
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