Smriti Class 9 Question Answer | स्मृति प्रश्न-उत्तर | NCERT Solutions For Class-9 Sanchayan » Education 4 India

Smriti Class 9 Question Answer | स्मृति प्रश्न-उत्तर | NCERT Solutions for Class-9 Sanchayan

Smriti Class 9 Question Answer NCERT Solutions for Class-9 Sanchayan

Smriti Class 9 Question Answer | स्मृति प्रश्न उत्तर | NCERT Solutions for Class-9 Sanchayan

          आज हम आप लोगों को संचयन भाग-1 कक्षा-9 पाठ-2 (NCERT Solutions for Class-9 Hindi Sanchayan Bhag-1 Chapter-2) के स्मृति का प्रश्न उत्तर (Smriti Class 9 Question Answer) के बारे में बताने जा रहे है जो कि श्री राम शर्मा (Shree Ram Sharma) द्वारा लिखित है। इसके अतिरिक्त यदि आपको और भी NCERT हिन्दी से सम्बन्धित पोस्ट चाहिए तो आप हमारे website के Top Menu में जाकर प्राप्त कर सकते हैं।

पाठ्य  पुस्तक के प्रश्नोत्तर | Smriti Class 9 Question Answer

प्रश्न 1. भाई के बुलाने पर घर लौटते समय लेखक के मन में किस बात का डर था? 

उत्तरः भाई के बुलाने पर लेखक को अपराध मिलने की सज़ा की आशंका हुई। भाई के द्वारा लेखक की  पिटाई होने की भी संभावना थी। इसलिए लेखक के मन में भाई द्वारा मार खाने का भय था। 

प्रश्न 2. मक्खनपुर पढ़ने जाने वाली बच्चों की टोली रास्ते में पड़ने वाले कुएँ में ढेला क्यों फेंकती थी?

उत्तरः एक दिन स्कूल जाते हुए बच्चों को रास्ते में पड़ने वाले कच्चे कुएँ में झाँकने की इच्छा हुई और बच्चों ने कुएँ में झाँककर ढेला भी फेंका। बच्चों का मन था कि ढेला फेंकने से कैसी आवाज निकलती है उसे सुनने की। ढेले की आवाज़ सुनने के बाद बच्चों को अपनी प्रतिध्वनि सुनने की इच्छा हुई। लेकिन कुएँ में ढेला फेंकते ही अंदर से एक फुसकार सुनाई पड़ी। ढेला फेंकने से साँप क्रोधित होकर फुसकार करता था, जिसे सुन-सुनकर बच्चे आनंदित होते थे। उन्हें काफी मज़ा आता था। यही कारण था कि गाँव से मक्खनपुर जाते और वहाँ से लौटते समय बच्चे प्रायः प्रतिदिन कुएँ में ढेले फेंकते थे।

प्रश्न 3. “साँप ने फुसकार मारी या नहीं, ढेला उसे लगा या नहीं, यह बात अब तक स्मरण नहीं।” यह कथन लेखक की किस मनोदशा को स्पष्ट करता है?

उत्तर: किसी घटना के क्रम में जब कोई दूसरी गंभीरतर घटना हो जाती है तो स्वाभाविक बात है कि पहले की कम गंभीर घटना पर से लोगों का ध्यान हट जाता है। लेखक ने इधर ढेला गिराया और साँप ने फुसकारा, लेकिन टोपी उतारने के साथ चिट्ठियों को कुएँ में गिरते देख लेखक हतप्रभ हो गया, मानो उस पर बिजली गिर गई। एक तरफ़ साँप की फुसकार सुनने का मज़ा और दूसरी तरफ़ चिट्ठियों के कुएँ में गिरने से उत्पन्न अपराध-बोध दोनों बातों के एक साथ होने से चिठियों वाली बात प्रधान हो गई और साँप वाली बात गौण हो गई। यही कारण है कि लेखक ने कहा-“साँप ने फुसकार मारी या नहीं, ढेला उसे लगा या नहीं यह बात अब तक स्मरण नहीं।” 

प्रश्न 4. किन कारणों से लेखक ने चिट्ठियों को कुएँ से निकालने का निर्णय लिया? 

उत्तरः चिट्ठियाँ कुएँ में गिर जाने के कारण लेखक के सामने यह समस्या उत्पन्न हुई कि यदि उन्होंने इस बात को बड़े भाई को बता दिया तो उनकी खूब पिटाई हो जाएगी। यदि नहीं बताएंगे, तो वे अपराधबोध से ग्रस्त होंगे। लेखक झूठ नहीं बोलना चाहते थे। इसलिए लेखक ने खतरे को आमंत्रित कर चिठियों को कुएँ से निकाल लेने का निर्णय किया।

प्रश्न 5. साँप का ध्यान बँटाने के लिए लेखक ने क्या-क्या युक्तियाँ अपनाई?

उत्तर: साँप का ध्यान बँटाने के लिए लेखक ने कुएँ की बगल से एक मुट्ठी मिट्टी लेकर उसकी दाईं ओर फेंकी। वह उस पर झपटा। इसके बाद लेखक ने साँप के बाईं ओर से डंडा को खींचा तो उसने दूसरी तरफ से भी वार किया। यदि बीच में डंडा नहीं होता तो उनके पैर में साँप के दाँत गड़ गए होते।

प्रश्न 6. कुएँ में उतरकर चिट्ठियों को निकालने संबंधी साहसिक घटना को अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तरः लेखक और उनके छोटे भाई उस समय मात्र ग्यारह और आठ वर्ष के बालक थे। लेखक ने कुएँ में उतरने के लिए पाँच धोतियों को एक-दूसरे से बाँधा और कुछ रस्सी जोड़कर कुएँ की गहराई के बराबर बनाया। धोती के अंतिम छोर में डंडे को बाँधा और कुएँ में गिरा दिया। उसके दूसरे सिरे को डेंग से बाँधकर छोटे भाई को दे दिया और उसे मजबूती से पकड़े रहने के लिए कहा। लेखक ने सोचा था कि नीचे उतरकर डंडे से साँप को मारकर चिट्ठियाँ बाहर निकाल लाएँगे लेकिन वास्तविकता कुछ और ही थी। लटकती धोती के सहारे जब लेखक कुएँ में उतरने लगे तब धरातल से चार-पाँच गज की दूरी पर साँप की स्थिति दृष्टि में आई। साँप फन फैलाए धरातल से एक हाथ ऊपर उठा हुआ लहरा रहा था मानो वह लेखक के उतरने की प्रतीक्षा कर रहा था। उसकी पूँछ और पूँछ के समीप का भाग धरती पर था। कुआँ कच्चा था और उसका व्यास बहुत कम था। उसमें पानी भी न था। लेखक को कुएँ के बीचोंबीच उतरना था। ऐसे में अगर लेखक का पैर धरातल पर टिकता तो साँप से उनके पैर की दूरी केवल डेढ़-दो फुट होती और इतनी दूरी पर साँप पैर रखते ही वार करता और अगर बहुत दूरी बनाकर भी लेखक नीचे उतरते तो भी साँप और लेखक के पैर के बीच की दूरी चार फुट से ज्यादा न होती। ऐसी दशा में डंडे से साँप को मार डालने की कल्पना कोरी कल्पना बनकर रह गई क्योंकि डंडा चलाने के लिए भी काफ़ी जगह चाहिए। इधर लेखक को एक उपाय सूझा। वे दोनों हाथों से धोती पकड़कर अपने पैर कुएँ की बगल से सटाकर लेखक कुएँ के धरातल पर खड़े हो गए। साँप और लेखक दोनों आमने-सामने। अब लेखक ने डंडे से साँप की ओर से चिट्ठियों को सरकाने की कोशिश की। डंडा जैसे ही चिठियों के पास पहुँचा कि साँप ने फँकार के साथ उस पर अपना विष उड़ेल दिया। लेखक डर कर ऊपर उछलकर कुछ दूर खड़े हो गए। छोटा भाई डरकर रोने लगा। लेखक ने चिट्ठियों को एक छोर में बाँध दिया। छोटे भाई ने उन्हें ऊपर खींच लिया। अब साँप के पास से डंडे को उठाना बहुत ही मुश्किल काम था। लेखक ने कुएँ के बगल से एक मुट्ठी मिट्टी लेकर उसकी दाईं ओर फेंकी तो उस साँप ने लेखक पर झपटा और लेखक ने तुरंत दूसरे हाथ से डंडा उठा लिया लेकिन इस बार भी साँप ने दूसरी ओर वार किया। डंडे के ही कारण लेखक बच गए वरना साँप लेखक के पैर को ही डँस लेता। अब केवल हाथों के सहारे 36 फुट ऊपर धीरे-धीरे चढे। यह कोई आसान काम न था।

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प्रश्न 7. इस पाठ को पढ़ने के बाद किन-किन बाल-सुलभ शरारतों के विषय में पता चलता है?

उत्तर : इस पाठ को पढ़ने के बाद कई बाल-सुलभ शरारतों का पता चलता है, जो निम्नलिखित हैं-

(क) बच्चे खेलते समय यह भूल जाते हैं कि समयानुसार घर लौट जाना चाहिए।

(ख) बच्चे न ही कड़ाके की ठंड में ठंडी लगने की परवाह करते हैं और न ही लू में झुलस जाने वाली जानलेवा गर्मी की परवाह करते हैं।

(ग) बच्चे अभिभावकों की पहुँच से दूर खेल-कूद में मशगूल रहना पसंद करते हैं।

(घ) विद्यालय जाने के मार्ग में बच्चे बीच-बीच में दूसरे आकर्षण में फँस जाते हैं और बीच के काम को ही मुख्य काम समझते हैं। विद्यालय जाना गौण काम हो जाता है। 

(ङ) बच्चे अपनी टोली में सामूहिक रूप से भी शरारतें करते है।

(च) कुएँ में झाँकने, उसकी प्रतिध्वनि सुनने, साँप को छेड़ने, बिल के पास साँप देखने या साँप को बिल से निकालने की तरकीब ढूँढ़ने में बच्चों को बहुत मज़ा आता है।

(छ) साँप पर ढेला फेंककर उसकी फुसकार सुनने में वे मज़ा लेते हैं।

(ज) कभी-कभी वे कोई दुस्साहसिक कार्य भी कर बैठते हैं।

प्रश्न 8. ‘मनुष्य का अनुमान और भावी योजनाएँ कभी-कभी कितनी मिथ्या और उलटी निकलती हैं’-का आशय स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर: मनुष्य जो भावी योजनाएँ बनाता है, उनमें सफल होने का अनुमान भी करता है। सफलता का पक्ष उसे दिखाई देता है। लेकिन असफलता का पक्ष उसकी दृष्टि से ओझल रहता है। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि उसकी सोच का ठीक उलटा परिणाम सामने आता है। लेखक कुएँ में घुसने से पूर्व यह योजना बना रहे थे कि वे साँप को आनन-फानन में मार डालेंगे। लेकिन वे और साँप आमने-सामने पड़ गए तो उन्हें अपनी योजना दुष्कर प्रतीत होने लगी। मनुष्य चाहता कुछ है, किंतु ईश्वर की इच्छा कुछ और होती है। तब मनुष्य की योजनाएँ और अनुमान मिथ्या हो जाते हैं।

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प्रश्न 9. ‘फल तो किसी दूसरी शक्ति पर निर्भर है’-पाठ के संदर्भ में इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर : अगर मनुष्य जो चाहता है, वह हो ही जाता तो मनुष्य के हृदय में उस अदृश्य शक्ति, परम पिता परमेश्वर के लिए कोई स्थान नहीं रह जाता। लेखक ने सोचा था कि कुएँ में मस्ती से उतरकर वे साँप को मार गिराएँगे। लेकिन साँप को ईश्वर की दी हुई आयु थी इसलिए लेखक के लाख चाहने पर भी साँप मनुष्य का शिकार नहीं हो सका। उलटे लेखक को अपना काम सिद्ध करना भी भारी जान पड़ रहा था। 

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सारांश  प्रश्नउत्तर 
अध्याय– 1 इस जल प्रलय में  प्रश्न-उत्तर
अध्याय– 2 मेरे संग की औरतें प्रश्न-उत्तर
अध्याय– 3 रीढ़ की हड्डी प्रश्न-उत्तर
अध्याय– 4 माटी वाली प्रश्न-उत्तर
अध्याय– 5 किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया प्रश्न-उत्तर

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर | Smriti Class 9 Extra Questions

(क) लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर 

  1. घर से विद्यालय जाते समय लेखक अपनी टोली के साथक्या करते थे?

उत्तर : घर से विद्यालय जाते समय लेखक अपनी टोली के साथ रास्ते में पड़ने वाले कुएँ में पत्थर अवश्य फेंकते क्योंकि उस कुएँ में एक साँप रहता था। साँप के फुफकारने की आवाज़ को सुनकर उन्हें मज़ा आता था।

प्रश्न 2. चिट्ठियाँ कुएँ में कैसे गिर गईं?

उत्तर : लेखक अपने छोटे भाई के साथ चिठियाँ डालने डाकखाने जा रहे थे तो जैसे ही अपनी पुरानी आदत के अनुसार टोपी हाथ में लेकर कुएँ में मिट्टी का ढेला फेंका तो उनकी टोपी में रखी चिट्ठियाँ कुएँ में जा गिरी।

प्रश्न 3. चिट्ठियाँ गिरने के बाद लेखक की क्या हालत हुई?

उत्तर : चिट्ठियाँ गिरने के बाद लेखक की तो मानो जान निकल गई। वे अपने भाई के साथ कुएँ की पाट पर बैठकर रोने लगे।

प्रश्न 4. तब लेखक ने क्या फ़ैसला किया और क्यों?

उत्तर : लेखक ने चिट्ठियों को कुएँ से निकालने का निर्णय लिया क्योंकि वे भाई की पिटाई से डरते थे और उन्हें झूठ बोलना नहीं आता था। 

प्रश्न 5. लेखक पर दुधारी ज़िम्मेदारी कौन-सी थी? बताइए।

उत्तर : लेखक को एक ओर सच बोलकर पिटने का भय सता रहा था जबकि दूसरी ओर झूठ बोलकर चिट्ठियों को न पहुँचाने के अपराध की दुधारी तलवार लटकती दिखाई दे रही थी।

प्रश्न 6. लेखक ने कुएँ के धरातल से चार-पाँच गज की दूरी पर क्या देखा?

उत्तर : कुएँ के धरातल से चार-पाँच गज़ की दूरी पर उन्होंने देखा कि साँप फन फैलाए धरती से एक हाथ ऊपर उठा हुआ लहरा रहा था।

प्रश्न 7. लेखक ने अंत में कौन-सा दृढ़ संकल्प किया और क्यों?

उत्तर : अंत में लेखक ने कुएँ से चिट्ठियाँ निकालने के लिए कुएँ में उतरने का दृढ़ निश्चय कर लिया क्योंकि उन्हें पूरा विश्वास था कि डंडे से साँप को मारकर वे चिट्ठियाँ निकाल लेंगे। 

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(ख) निबंधात्मक प्रश्नोत्तर 

प्रश्न 1. बड़े भाई ने लेखक को क्यों बुलाया था? लेखक ने क्या-क्या अनुमान लगाया?

उत्तर : बड़े भाई ने लेखक को कुछ ज़रूरी पत्र मक्खनपुर डाकखाने में डालने के लिए बुलाया था किन्तु लेखक ने अनुमान लगाया कि घर में ज़रूर मार पड़ेगी।

प्रश्न 2. लेखक ने चिट्ठियाँ कहाँ रख लीं? फिर उनका क्या हुआ?

उत्तर : लेखक ने चिट्ठियाँ टोपी के नीचे रखीं और डंडा लेकर भाई को साथ लेकर चल दिए। दोनों उछलते-कूदते उस कुएँ तक पहुँच गए जिसमें एक काला साँप पड़ा हुआ था। जैसे ही टोपी उतारकर कुएँ में ढेला फेंका, वैसे ही टोपी के नीचे रखी हुई तीनों चिट्ठियाँ कुएँ में जा गिरी।

प्रश्न 3. लेखक और उनकी टोली कुएँ में क्यों झाँकते और ढेले फेंकते थे?

उत्तर : लेखक और उनकी टोली रास्ते में पड़ने वाले कुएँ में ढेला अवश्य फेंकते थे। वे जानते थे कि उस कुएँ में एक साँप था जो ढेले की चोट से फुसकार उठता था। उस फुसकार से बच्चों को खूब आनंद मिलता था। इसलिए वे आते-जाते कुएँ में झाँकते और ढेले अवश्य फेंकते थे।

प्रश्न 4. लेखक ने साँप को मारने का निर्णय क्यों लिया?

उत्तर : चिट्ठियाँ डाकखाने में डालना बहुत ज़रूरी था। उनके होश गुम हो गए। भाई की पिटाई का डर सामने था और साथ ही झूठ न बोलने की भावना भी थी। इसलिए लेखक ने साँप को मारने का निर्णय लिया।

प्रश्न 5. कुएँ से चिठियाँ निकालने के लिए लेखक ने कौन-कौन से उपाय सोचे?

उत्तर : कुएँ से चिट्ठियाँ निकालने के लिए लेखक ने दो उपाय सोचे। एक तो साक्षात साँप से भिड़कर मौत को गले लगा ले अथवा डंडे से साँप को मारकर चिट्ठियाँ उठा ले।

प्रश्न 6. चिट्ठियों को निकालने के लिए लेखक ने क्या तरकीब अपनाई?

उत्तर : चिट्ठियों को निकालने के लिए लेखक ने पाँच धोतियों को रस्सी के साथ जोड़कर उसका एक सिरा डंडे से बाँधा और उसके दूसरे सिरे को डेंग के चारों ओर घुमाकर गाँठ लगाकर भाई को पकड़ा दिया। धोती के सहारे वे कुएँ में घुसे लेकिन कुएँ के धरातल के पास साँप को फन फैलाए देखकर उन्होंने कुएँ की बगल में पैर टिकाकर डंडे के सहारे चिट्ठियों को सरकाया। साँप ने डंडे पर अपने विष उगल दिए। फिर किसी तरह उन्होंने चिट्ठियाँ निकाल कर धोती के छोर में बाँध दी। 

स्मृति पाठ का सारांश

‘स्मृति’ कहानी के शीर्षक द्वारा यह स्पष्ट होता है कि प्रस्तुत कहानी लेखक को जीवन भर याद रही Read More

          इस पोस्ट के माध्यम से हम संचयन भाग-1 के कक्षा-9 का पाठ-1 (NCERT Solutions for Class-9 Hindi Sanchayan Bhag-1 Chapter-1) स्मृति के प्रश्न उत्तर (Smriti Class 9 Question Answer)  के बारे में जाने जो कि श्री राम शर्मा (Shree Ram Sharma) द्वारा लिखित हैं । उम्मीद करती हूँ कि आपको हमारा यह पोस्ट पसंद आया होगा। पोस्ट अच्छा लगा तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूले। किसी भी तरह का प्रश्न हो तो आप हमसे कमेन्ट बॉक्स में पूछ सकतें हैं। साथ ही हमारे Blogs को Follow करे जिससे आपको हमारे हर नए पोस्ट कि Notification मिलते रहे।

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