सवैये का भावार्थ | Raskhan ke Savaiye | NCERT Solutions for Class 9 Kshitij Chapter 11 Summary

सवैये का भावार्थ | Raskhan ke Savaiye | NCERT Solutions for Hindi Class 9 Kshitij Chapter 11 Summary

             आज हम आप लोगों को क्षितिज भाग 1  कक्षा-9 पाठ-11 (NCERT Solutions for hindi class 9 kshitij bhag-1 Chapter – 11) सवैये काव्य खंड के भावार्थ (Raskhan ke Savaiye Summary ) बारे में बताने जा रहे है। इसके अतिरिक्त यदि आपको और भी NCERT हिन्दी से सम्बन्धित पोस्ट चाहिए तो आप हमारे website के Top Menu में जाकर प्राप्त कर सकते हैं।

 

सवैये का भावार्थ | Raskhan ke Savaiye

कविता परिचय

 

          रसखान द्वारा रचित सवैयों में कृष्ण और उनकी लीला-भूमि वृंदावन की प्रत्येक वस्तु के प्रति लगाव प्रकट हुआ है। कवि श्रीकृष्ण के काले कंबल पर तीनों लोकों का सुख त्यागने को तैयार है। तीसरे सवैये में कृष्ण के रूप सौंदर्य पर मुग्ध गोपियाँ स्वयं कृष्ण रूप धारण करना चाहती हैं और चौथे सवैए में कृष्ण की बाँसुरी की धुन की मादकता तथा गोपियों की विवशता का सजीव चित्रण हुआ है।  

 

1

 मानुष हौं तो वही रसखानि बसौं ब्रज गोकुल गाँव के ग्वारन।

जौ पसु हौं तो कहा बस मेरो चरौं नित नंद की धेनु मँझारन।।

पाहन हौं तो वही गिरि को जो कियो हरिछत्र पुरंदर धारन।

जौ खग हौं तो बसेरो करौं मिलि कालिंदी कूल कदंब की डारन।। 

शब्दार्थमानुष-मनुष्य। बसौं-बसना, रहना। ग्वारन-ग्वालों के मध्य। कहा बस-वश में रहना। चरों-चरता रहूँ। नित-हमेशा । धेनु-गाय । मँझारन-बीच में। पाहन-पत्थर । गिरि-पर्वत । छत्र-छाता । पुरंदर-इंद्र । धारन-धारण किया। खग-पक्षी। बसेरो-निवास करना । कालिंदी-यमुना। कूल-किनारा । कदंब-एक वृक्ष । डारन-शाखाएँ, डालें। 

भावार्थ-कृष्ण की लीला भूमि ब्रज के प्रति अपना लगाव प्रकट करते हुए कवि कहता है कि अगले जन्म में यदि मैं मनुष्य बनूँ तो गोकुल गाँव के ग्वाल बालों के बीच ही निवास करूँ। यदि मैं पशु बनूँ तो इसमें मेरा कोई जोर (वश) नहीं है फिर भी मैं नंद बाबा की गायों के बीच चरना चाहता हूँ। यदि मैं पत्थर बनूँ तो उसी गोवर्धन पर्वत का पत्थर बनना चाहता हूँ, जिसे कृष्ण ने अपनी उँगली पर उठाकर लोगों को इंद्र के प्रकोप से बचाया था। यदि मैं पक्षी बन जाऊँ तो में उसी कदंब के पेड़ पर एक आश्रय बनाऊंगा जो यमुना के तट पर है और जिसके नीचे श्रीकृष्ण रास रचाया करते थे। 

यह भी पढ़े-  Smriti Summary | स्मृति पाठ का सारांश | NCERT Solutions for Class-9 Sanchayan Chapter 2

2

या लकुटी अरु कामरिया पर राज तिहूँ पुर को तजि डारौं।

आठहुँ सिद्धि नवौ निधि के सुख नंद की गाइ चराइ बिसारौं ।। 

रसखान कबौं इन आँखिन सौं, ब्रज के बन बाग तड़ाग निहारौं। 

कोटिक ए कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊपर वारौं।।

शब्दार्थयाइस। लकुटी-लाठी। कामरिया-छोटा कंबल। तिहूँ-तीनों। पुर-नगर, लोक। तजि डारौं-छोड़ दूँ। नवौ निधि-नौ निधियाँ । बिसारौं-भूलूँ। कबौं-जब से। सौं-से। तड़ाग-तालाब। निहारौं-देखता हूँ। कोटिक-करोड़ों। कलधौत-सोना। धाम-भवन। करील-एक प्रकार का वृक्ष । कुंजन-लताओं का घर। वारौं-न्योछावर करना। 

भावार्थ– कृष्ण से जुड़ी वस्तुओं के प्रति अपना प्रेम प्रकट करते हुए कवि कहता है कि जिस लाठी और कंबल को लेकर कृष्ण गाय चराया करते थे उसके बदले में तीनों लोकों का सुख त्यागने को तैयार हूँ। मैं नंद की गायों को चराने के बदले आठों सिद्धियों और नौ निधियों का सुख भी भूल सकता हूँ। मैं ब्रजभूमि पर स्थित बागों, वनों, तालाबों को देखते रहना चाहता हूँ। मैं इन करील के कुंजों में रहने के बदले हजारों सोने के महलों का सुख त्यागने को तैयार हूँ। 

3

मोरपखा सिर ऊपर राखिहौं, गुंज की माल गरें पहिरौंगी। 

ओढ़ि पितंबर लै लकुटी बन गोधन ग्वारनि संग फिरौंगी।।

भावतो वोहि मेरो रसखानि सों तेरे कहे सब स्वाँग करौंगी।

या मुरली मुरलीधर की अधरान धरी अधरा न धरौंगी।। 

 

शब्दार्थमोरपखा-मोर के पंखों से बना मुकुट । राखिहौं-रचूँगी। गुंज-एक जंगली पौधे का छोटा-सा फल । गरें-गले में। पहिरौंगी-पहनूँगी। पितंबर (पीतांबर)-पीलावस्त्र। गोधन-गाय रूपी धन। ग्वारिन-ग्वालिन। फिरौंगी-फिरूँगी। भावतो-अच्छा लगना। वोहि-जो कुछ। स्वाँग-रूप धारण करना। मुरलीधर-कृष्ण। अधरा-होंठों पर। घरौंगी-रखूँगी।

यह भी पढ़े-  सवैये का प्रश्न-उत्तर | Savaiye Question Answer | ncert solutions for class 9 kshitij chapter 11

भावार्थ-कृष्ण के सौंदर्य पर मुग्ध एक गोपी दूसरी गोपी से कहती है कि हे सखी! मैं कृष्ण की तरह ही अपने सिर पर मयूर के पंखों का मुकुट तथा गले में गुंज की माला पहनूँगी। मैं पीले वस्त्र धारण कर श्रीकृष्ण की तरह ही गायों को पीछे लाठी लेकर वन-वन फिरूँगी। मेरे कृष्ण को जो भी अच्छा लगता है मैं उनके कहने पर सब कुछ करने को तैयार हूँ पर हे सखी! कृष्ण की उस मुरली को मैं अपने होंठों पर कभी भी न रखूगी। क्योंकि उस मुरली ने ही कृष्ण को हमसे दूर कर रखा है। 

4

काननि दै अँगुरी रहिबो जबहीं मुरली धुनि मंद बजैहै।

मोहनी तानन सों रसखानि अटा चढ़ि गोधन गैहै तौ गैहै।।

टेरि कहौं सिगरे ब्रजलोगनि काल्हि कोऊ कितनो समुझैहै।

माइ री वा मुख की मुसकानि सम्हारी न जैहै, न जैहै, न जैहै।। 

 

शब्दार्थकाननि-कानों में। दै-देकर। अँगुरी-उँगली। रहिबो-रहूँगी। धुनि-धुन। मंद-मधुर स्वर में। बजैहै-बजाएँगे। मोहनी-मोहनेवाली। तानन-तानों, धुनों से। अटा-अटारी, अट्टालिका । गोधन-व्रजक्षेत्र में गाया जाने वाला लोकगीत । गैहै-गाएँगे। टेरि-पुकारकर बुलाना। सिगरे-सारे। काल्हि-कल। समुझैहै -समझाएँगे। माइ री-हे माँ। वा-वह, उसके। सम्हारी-सँभाला। न जैहै-नहीं जाएगी। 

भावार्थ-श्रीकृष्ण की मुरली की ध्वनि तथा उनकी मुस्कान पर मोहित एक गोपी कहती है कि जब श्रीकृष्ण मधुर स्वर में मुरली बजाएँगे तब मैं अपने कानों में अँगुली डाल लूँगी ताकि मैं उसे न सुन सकूँ। ऊँची-ऊँची अट्टालिकाओं पर चढ़कर कृष्ण गोधन गाते हैं तो गाते रहें, मैं उससे बेअसर रहूँगी। मैं ब्रज के लोगों से चिल्लाकर कहना चाहती हूँ कि कल को मुझे कोई कितना भी समझाए पर श्रीकृष्ण की एक मुस्कान पर मैं अपने वश में नहीं रह सकूँगी। मुझ पर उस मुस्कान का जादू अवश्य चल जाएगा। 

यह भी पढ़े-  दो बैलों की कथा का सारांश : NCERT solutions for class 9 do bailon ki katha summary

 

सवैये का प्रश्न-उत्तर (पाठ्यपुस्तक से) Savaiye Question and Answer

प्रश्न 1. ब्रजभूमि के प्रति कवि का प्रेम किन-किन रूपों में अभिव्यक्त हुआ है?

उत्तर : कवि श्रीकृष्ण की रासलीला भूमि ब्रज के प्रति अपना प्रेम निम्नलिखित रूपों में अभिव्यक्त करते है – Read More

 

Download PDF

 

          इस पोस्ट के माध्यम से हम क्षितिज भाग 1  कक्षा-9 पाठ-11 (NCERT Solutions for hindi class 9 kshitij bhag-1 Chapter -11) सवैये काव्य खंड केभावार्थ (Raskhan ke Savaiye Summary ) के बारे में जाना । उम्मीद करती हूँ कि आपको हमारा यह पोस्ट पसंद आया होगा। पोस्ट अच्छा लगा तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूले। किसी भी तरह का प्रश्न हो तो आप हमसे कमेन्ट बॉक्स में पूछ सकतें हैं। साथ ही हमारे Blogs को Follow करे जिससे आपको हमारे हर नए पोस्ट कि Notification मिलते रहे।

          आपको यह सभी पोस्ट Video के रूप में भी हमारे YouTube चैनल  Education 4 India पर भी मिल जाएगी।

यह भी पढ़े – काव्य खंड
भावार्थ  प्रश्न-उत्तर 
अध्याय-   9 कबीर दास की साखियाँ प्रश्न-उत्तर 
अध्याय- 10  वाख  प्रश्न उत्तर

NCERT / CBSE Solution for Class 9 (HINDI) कृतिका/क्षितिज

 

       

Leave a Comment