आज हम आप लोगों को वसंत भाग-2 के कक्षा-7 का पाठ-6 (NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 6 Vasant Bhag 1 ) के रक्त और हमारा शरीर पाठ का सारांश (Rakt Aur Hamara Sharir class 7 Hindi Chapter 6 Summary) के बारे में बताने जा रहे है जो कि यतीश अग्रवाल (Yatish Agarwal) द्वारा लिखित है। इसके अतिरिक्त यदि आपको और भी NCERT हिन्दी से सम्बन्धित पोस्ट चाहिए तो आप हमारे website के Top Menu में जाकर प्राप्त कर सकते हैं।
NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 6 Rakt Aur Hamara Sharir Summary
अनिल की छोटी बहन का नाम दिव्या है। वह शुरू से ही बहुत कमजोर है, लेकिन आजकल उसे हर समय थकान महसूस होती है और भूख भी बहुत कम लगती है। अस्पताल में जब डॉक्टर ने उसे देखा तो उसके अंदर रक्त की कमी के कारण उसे रक्त की जाँच के लिए पास के कमरे में भेज दिया। वहाँ पर उसके भाई के जान-पहचान की डॉक्टर दीदी थीं। उन्होंने दिव्या की उँगली से रक्त की कुछ बूंदें ली फिर उसे एक छोटी-सी शीशी में डाल दी और स्लाइड पर लगा दी। उसके बाद डॉक्टर दीदी ने अगले दिन अनिल से रिपोर्ट ले जाने को कहा। दूसरे दिन अनिल दिव्या की रिपोर्ट लेने अस्पताल पहुँचा तो डॉक्टर दीदी ने उसे बताया कि दिव्या को एनीमिया हो गया है। डरने की बात नहीं है, दिव्या कुछ दिन दवा लेगी तो ठीक हो जाएगी।
अनिल ने उत्सुकतावश डॉक्टर दीदी से पूछा कि एनीमिया क्या होता है? तो डॉक्टर दीदी ने अनिल से कहा कि एनीमिया के बारे में जानने के लिए उसे सबसे पहले रक्त के बारे में जानना होगा। डॉक्टर दीदी ने आगे बताया कि लाल द्रव के सामान दिखने वाले इस रक्त को यदि सूक्ष्मदर्शी की सहायता से देखें तो यह भानुमति के पिटारे जैसा ( बहुत तरह की वस्तुओं से भरा हुआ पिटारा ) है।
मुख्य रूप से इसके दो भाग होते हैं। पहला भाग तरल भाग होता है जो प्लाज्मा कहलाता है। दूसरे भाग में कई प्रकार के कण होते हैं जैसे-लाल, सफेद, और बिना रंग वाला जिन्हें बिंबाणु (प्लेटलेट कण) कहते हैं। ये सभी कण प्लाज्मा में तैरते रहते हैं। डॉक्टर दीदी ने सूक्ष्मदर्शी के नीचे एक स्लाईड लगाई फिर अनिल को दिखाया। अनिल उस स्लाइड को देखते ही आश्चर्य से उछल पड़ा। अनिल बोला- रक्त की एक बूंद में इतने सारे कण। उसे ऐसा लग रहा था जैसे बहुत-सी छोटी-छोटी बालूशाही रख दी गई हो। दीदी ने बताया कि लाल कण बनावट में बालूशाही की तरह ही होते हैं। रक्त की एक बूंद में इन लाल कणों कीे हैं। रक्त की एक बूंद में इनकी संख्या लाखों में होती है। इन्हीं के कारण रक्त का रंग लाल दिखाई देता है। इन कणों का कार्य साँस द्वारा प्राप्त ऑक्सीजन को शरीर के विभिन्न हिस्सों तक पहुँचाने का काम करते हैं। इनका जीवनकाल लगभग चार महीने का होता है लेकिन ये एक साथ नहीं, धीरे-धीरे नष्ट होते हैं।
यह सुनकर अनिल ने कहा कि तब तो ये कुछ ही महीनों में खत्म हो जाते होंगे। अनिल की बात सुनकर डॉक्टर दीदी मुस्कराने लगीं। उन्होंने बताया कि शरीर में हर समय नए कण भी बनते रहते हैं। हड्डियों के बीच के भाग मज्जा में कई ऐसे कारखाने होते हैं, जो रक्त के निर्माण कार्य में लगे रहते हैं। इसके लिए इन कारखानों को प्रोटीन, लौह तत्व और विटामिन रूपी कच्चे माल की जरूरत होती है। ये सभी तत्व हरी सब्जी, फल, दूध, अंडा और गोश्त में उपयुक्त मात्रा में उपस्थित होते हैं। यदि कोई भी व्यक्ति उचित मात्रा में आहार ग्रहण नहीं करता तो रक्त के कण बन नहीं पाते हैं। रक्त में लाल कणों की कमी हो जाती है जिसे एनीमिया कहते हैं।
अनिल ने डॉक्टर दीदी से जानना चाहा कि क्या केवल संतुलित आहार लेकर एनीमिया से बचा जा सकता है? तो डॉक्टर दीदी ने उसे बताया कि एनीमिया होने के कई कारण हैं, लेकिन हमारे देश में इसका सबसे बड़ा कारण पौष्टिक आहार की कमी है। वैसे पेट में कीड़े हो जाने से भी एनीमिया का खतरा उत्पन्न होता है। ये कीड़े दूषित जल और खाद्य पदार्थ के जरिए हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं। इसलिए हमेशा स्वच्छ जल और भोजन ही ग्रहण करना चाहिए और अपने हाथ भी साफ रखने चाहिए। कुछ कीड़े तो ऐसे होते है जो पैर की त्वचा के रास्ते भी शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। इनसे बचने का उपाय है कि शौच के लिए शौचालय का प्रयोग करें और इधर-उधर खाली पैर न घूमें।
कुछ देर सोचने के बाद अनिल ने रक्त के सफेद कणों और बिंबाणुओं के विषय में भी जानना चाहा तो डॉक्टर दीदी बताने लगीं कि सफेद कण शरीर पर हमला करने वाले रोगाणुओं से हमारी रक्षा करते हैं और बिंबाणु चोट लगने पर रक्त जमाव क्रिया में मदद करते हैं। प्लाज्मा में पाई जाने वाली विशेष प्रकार की प्रोटीन रक्तवाहिका की कटी-फटी दीवार में एक जाला बना देती है। बिंबाणु इस जाले से चिपक जाते हैं, जिससे दरार भर जाती है और रक्त स्राव रुक जाता है। यह सुनकर अनिल ने पूछा कि घाव गहरा होने पर तो खून का बहाव नहीं रुकता है। तब डॉक्टर दीदी ने बताया कि ऐसी स्थिति में रोगी को डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए और जरूरत पड़ने पर टाँके लगाने चाहिए। अधिक रक्त स्राव होने पर रक्त चढ़ाना भी पड़ सकता है।
अनिल ने जानना चाहा कि क्या ऐसी स्थिति में किसी भी व्यक्ति का खून काम आ सकता है? डॉक्टर दीदी ने कहा कि सभी का रक्त एक जैसा नहीं होता। समान रक्त समूह वाले व्यक्ति का ही रक्त चढ़ाया जा सकता है। आपातस्थिति में यदि समान रक्त समूह का रक्त न मिले तो उसके लिए ब्लड-बैंक बनाए गए हैं। ताकि इन ब्लड-बैंकों में रक्त का भंडार सुरक्षित रहे, इसके लिए आवश्यक है कि हम समय-समय पर रक्तदान करते रहें।
अनिल ने डॉक्टर दीदी ने पूछा कि क्या मैं भी रक्तदान कर सकता हूँ? तो डॉक्टर दीदी ने बताया कि नहीं, सिर्फ अठारह वर्ष से अधिक उम्र के स्वस्थ व्यक्ति ही रक्तदान कर सकते हैं और एक बार में 300 मिलीलीटर रक्त ही लिया जाता है। रक्तदान से कोई कमजोरी नहीं होती क्योंकि हर एक व्यक्ति के शरीर में 5 लीटर खून होता है और उसका शरीर नया रक्त बनाने में सक्षम होता है।
रक्त से संबंधित सभी जानकारी को लेकर अनिल डॉक्टर दीदी से वादा करता है कि बड़ा होकर वह नियमित रूप से रक्तदान किया करेगा। डॉक्टर दीदी उसे शाबाशी देती हैं।
रक्त और हमारा शरीर प्रश्न-उत्तर | Rakt Aur Hamara Sharir class 7 Hindi Chapter 6 Question Answer
प्रश्न-अभ्यास
पाठ से
प्रश्न 1. रक्त के बहाव को रोकने के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर- Read More
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