प्रेमचंद के फटे जूते का सारांश | Premchand ke Phate Jute Summary | NCERT Solutions for class 9
आज हम आप लोगों को क्षितिज भाग 1 कक्षा-9 पाठ-6 (NCERT Solutions for class 9 kshitij bhag-1) प्रेमचंद के फटे जूते (Premchand ke Phate Jute) निबंध के कथा-सार के बारे में बताने जा रहे है जो कि हरिशंकर परसाई (Harishankar Parsai) द्वारा लिखित है। इसके अतिरिक्त यदि आपको और भी NCERT हिन्दी से सम्बन्धित पोस्ट चाहिए तो आप हमारे website के Top Menu में जाकर प्राप्त कर सकते है।
Premchand ke Phate Jute | प्रेमचंद के फटे जूते
कथा-सार
परसाई जी के सामने प्रेमचंद तथा उनकी पत्नी का एक चित्र है। इसमें प्रेमचंद धोती-कुर्ता पहने हैं तथा उनके सिर पर टोपी है। वे बहुत दुबले हैं, चेहरा बैठा हुआ तथा हड्डियाँ उभरी हुई हैं। चित्र को देखने से ही पता चल रहा है कि वे निर्धनता में जी रहे हैं। वे कैनवस के जूते पहने हैं जो बिल्कुल फट चुके हैं, जिसके कारण ढंग से बँध नहीं पा रहे हैं और बाएँ पैर की उँगलियाँ दिख रही हैं। उनकी ऐसी हालत देखकर लेखक को चिंता हो रही हैं कि यदि उनकी (प्रेमचंद) फ़ोटो खिंचाते समय ऐसी हालत है तो वास्तविक जीवन में उनकी क्या हालत रही होगी। फिर उन्होंने सोचा कि प्रेमचंद कहीं दो तरह का जीवन जीने वाले व्यक्ति तो नहीं थे। किंतु उन्हें दिखावा पसंद नहीं था, अतः उनकी घर की तथा बाहर की जिंदगी एक-सी ही रही होगी। फ़ोटो में दिख रही तथा वास्तविक स्थिति में कोई अंतर नहीं रहा होगा। तभी तो निश्चितता तथा लापरवाही से फ़ोटो में बैठे हैं। वे ‘सादा जीवन उच्च विचार’ रखने में विश्वास रखते थे। अतः गरीबी से दुखी नहीं थे।
प्रेमचंद जी के चेहरे पर एक व्यंग्य भरी मुस्कान देखकर लेखक परेशान हैं। वह सोचते हैं कि प्रेमचंद ने फटे जूतों में फ़ोटो खिंचवाने से मना क्यों नहीं किया। फिर लेखक को लगा कि शायद उनकी पत्नी ने जोर दिया होगा, इसलिए उन्होंने फटे जूते में ही फ़ोटो खिंचा लिया होगा। लेखक प्रेमचंद की इस दुर्दशा पर रोना चाहते हैं किंतु उनकी आँखों के दर्द भरे व्यंग्य ने उन्हें रोने से रोक दिया।
लेखक सोचते हैं कि लोग फोटो खिंचवाने के लिए तो जूते, कपड़े, यहाँ तक कि बीवी भी माँग लेते हैं, फिर प्रेमचंद ने किसी के जूते क्यों नहीं माँगे । लेखक कहते हैं कि लोग तो इत्र लगाकर फोटो खिचाते है जिससे फोटो में खुशबू आ जाए।
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लेखक कहते हैं कि मेरा भी तो जूता फट गया है किंतु वह ऊपर से तो ठीक है। मैं पर्दे का पूरी तरह से ध्यान रखता हूँ। मैं अपनी उँगली को बाहर नहीं निकलने देता। मैं इस तरह फटा जूता पहनकर फ़ोटो तो कभी नहीं खिंचवा सकता।
लेखक प्रेमचंद की व्यंग्य भरी मुस्कान देखकर आश्चर्यचकित हैं। वे सोच रहे हैं कि इस व्यंग्य भरी मुस्कान का आखिर क्या मतलब हो सकता है। क्या उनके साथ कोई हादसा हो गया या होरी का गोदान हो गया? या हल्कू किसान के खेत को नीलगायों ने चर लिया है या माधो ने अपनी पत्नी के कफ़न को बेचकर शराब पी ली है? या महाजन के तगादे से बचने के लिए प्रेमचंद को लंबा चक्कर काटकर घर जाना पड़ा है जिससे उनका जूता घिस गया है? लेखक को याद आता है कि ईश्वर-भक्त संत कवि कुंभनदास का जूता भी फतेहपुर सीकरी आने-जाने से घिस गया था।
अचानक लेखक को समझ आया कि प्रेमचंद का जूता लंबा चक्कर काटने से नहीं फटा होगा बल्कि वे सारे जीवन किसी कठोर वस्तु को ठोकर मारते रहे होंगे। रास्ते में पड़ने वाले टीले से बचकर निकलने के बजाए वे उसे ठोकरे मारते रहे होंगे। उन्हें समझौता करना पसंद नहीं है। जिस प्रकार होरी अपना नेम-धरम नहीं छोड़ पाए, या फिर नेम-धरम उनके लिए मुक्ति का साधन था।
लेखक मानते हैं कि प्रेमचंद की उँगली किसी घृणित वस्तु की ओर संकेत कर रही है, जिसे उन्होंने ठोकरें मार-मारकर अपने जूते फाड़ लिए हैं। वे उन लोगों पर मुस्करा रहे हैं जो अपनी उँगली को ढकने के लिए अपने तलवे घिसते रहते हैं।
Premchand ke Phate Joote Question Answer | प्रेमचंद के फटे जूते प्रश्न-उत्तर
प्रश्न 1. हरिशंकर परसाई ने प्रेमचंद का जो शब्दचित्र हमारे सामने प्रस्तुत किया है उससे प्रेमचंद के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषताएँ उभरकर आती हैं?
उत्तर : लेखक ने प्रेमचंद का जो शब्द चित्र हमारे सामने प्रस्तुत किया है उससे उनके व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताएँ सामने आती हैं – Read More
इस पोस्ट के माध्यम से हम क्षितिज भाग 1 कक्षा-9 पाठ-6 (NCERT Solutions for class 9 kshitij bhag-1) प्रेमचंद के फटे जूते (Premchand ke Phate Jute) के कथा-सार के बारे में जाने, जो कि हरिशंकर परसाई (Harishankar Parsai) जी द्वारा लिखित हैं । उम्मीद करती हूँ कि आपको हमारा यह पोस्ट पसंद आया होगा। पोस्ट अच्छा लगा तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूले। किसी भी तरह का प्रश्न हो तो आप हमसे कमेन्ट बॉक्स में पूछ सकतें हैं। साथ ही हमारे Blogs को Follow करे जिससे आपको हमारे हर नए पोस्ट कि Notification मिलते रहे।
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