आज हम आप लोगों को वसंत भाग-2 के कक्षा-7 का पाठ-15 (NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 15 Vasant Bhag 2 ) के नीलकंठ पाठ का सारांश (Neelkanth Class 7 Summary ) के बारे में बताने जा रहे है जो कि महादेवी वर्मा (Mahadevi Verma ) द्वारा लिखित है। इसके अतिरिक्त यदि आपको और भी NCERT हिन्दी से सम्बन्धित पोस्ट चाहिए तो आप हमारे website के Top Menu में जाकर प्राप्त कर सकते हैं।
NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 15 Neelkanth Class 7 Summary
नीलकंठ महादेवी वर्मा द्वारा लिखी गई एक रेखाचित्र है। महादेवी जी को पशु-पक्षियों से बड़ा प्रेम था। नीलकंठ कहानी भी पशु-पक्षी की कहानी में से एक है। यहाँ नीलकंठ एक मोर है। महादेवी अपने साथ दो मोरनी के बच्चे ले आती हैं। एक नर मोर जिसका नीली गर्दन होने के कारण उसका नाम नीलकंठ रखती हैं और दूसरे मादा मोर का नाम राधा। । जाली के बड़े घर में पहुँचने पर मोर के बच्चों का स्वागत नव वधू के समान किया गया। लक्का कबूतर नाचना छोड़ उनके चारों ओर घूम-घूमकर गुटरगूं-गुटरगूं की रागिनी अलापने लगे । बड़े खरगोश गंभीर भाव से कतार में बैठकर उनका निरीक्षण करने लगे। छोटे खरगोश ऊन की गेंद के समान उनके आसपास उछल-कूद मचाने लगे। तोते एक आँख बंद करके उनका निरीक्षण करने लगे। नीलकंठ स्वभाव में स्नेही, निडर, और साहसी था। अपने स्वभाव के कारण वह लेखिका का प्रिय बन गया था इस रेखाचित्र में मनुष्य और पक्षियों के आपसी प्रेम का बहुत ही सुंदर ढंग से वर्णन किया गया है। लेखिका उन पक्षियों को अपने घर के अहाते में बने मिनी चिड़ियाघर में रख देती हैं। समय बीतने के बाद दोनों चूजे बड़े हो जाते हैं। एक मोर और दूसरी मोरनी। मोर अपने रंग बिरंगे चटखीले पंखों के कारण अत्यंत सुंदर दिखता है लेकिन मोरनी अपने सादे पंखों के बावजूद भी नजाकत और सुंदरता की मिसाल होती है। मोर अब पूरे चिड़ियाघर के सभी पशु पक्षियों का संरक्षक बन चुका होता है। एक दिन वह जहरीले साँप के मुँह से खरगोश के बच्चे को भी बचाता है। मौका पड़ने पर उन्हें दंडित भी करता है और उनकी सुरक्षा भी करता है। मोर अपने नृत्य से सबको मंत्र मुग्ध कर देता है जिससे लेखिका के यहाँ पहुँचने वाले अतिथि भी मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।
नीलकंठ हर समय लेखिका को अपनी हरकतों से मोहित किए रहती थी। उसका नृत्य करना। विशेष भंगिमा के साथ गर्दन नीची कर दाना चुगना। दाना देने पर पंखो को मंडलाकार बनाकर खड़ा होना। गर्दन को टेढ़ी करके बाते सुनना। गर्दन ऊँची करके देखना। मेघों की गर्जन ताल पर उसका इंद्रधनुष के गुच्छे जैसे पंखों को मंडलाकार बनाकर तन्मय नृत्य करना। महादेवी जी के हाथों से हौले-हौले चने उठाकर खाना। महादेवी जी के सामने पंख फैलाकर खड़े होना। फिर एक दिन लेखिका उसी चिड़िया बेचने वाले से एक मोरनी खरीदकर लाती हैं जो थोड़ी घायल थी। उसका नाम रखा कुब्जा। कुछ उपचार के बाद जब मोरनी ठीक हो जाती है तो वह सभी पशु-पक्षीयों पर अपना अधिकार जताना शुरु करती है। इस चक्कर में वह पहले से रहने वाली मोरनी को चोंच मारकर परेशान भी कर देती है। एक दिन वह पुरानी मोरनी के अंडों को फोड़ देती है। इससे नीलकंठ इतना आहत होता है कि वह खाना पीना बंद कर देता है और अंत में उसकी मृत्यु हो जाती है। कुछ दिनों बाद कजली के दाँतो के प्रहार से कुब्जा इस दुनिया को छोड़ देती है। अब पुरानी मोरनी अपने प्यारे मोर की विरह में इधर उधर भटकती रहती है । इस रचना में मनुष्य और पक्षियों के आपसी प्रेम का बहुत ही सुंदर रूप देखने को मिलता है। परन्तु कुब्जा नामक मोरनी के आ जाने से नीलकंठ और राधा का जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है।
Neelkanth Class 7 Question Answer | नीलकंठ रेखाचित्र का प्रश्न-उत्तर
प्रश्न-अभ्यास
निबंध से
प्रश्न 1. मोर-मोरनी के नाम किस आधार पर रखे गए?
उत्तर:- Read More
इस पोस्ट के माध्यम से हम वसंत भाग-2 के कक्षा-7 का पाठ-15 (NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 15 Vasant Bhag 2) के नीलकंठ पाठ का सारांश (Neelkanth Class 7 Summary) के बारे में जाने जो की महादेवी वर्मा (Mahadevi Verma) द्वारा लिखित हैं । उम्मीद करती हूँ कि आपको हमारा यह पोस्ट पसंद आया होगा। पोस्ट अच्छा लगा तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूले। किसी भी तरह का प्रश्न हो तो आप हमसे कमेन्ट बॉक्स में पूछ सकतें हैं। साथ ही हमारे Blogs को Follow करे जिससे आपको हमारे हर नए पोस्ट कि Notification मिलते रहे।