मिठाईवाला का सारांश | NCERT Solutions For Class 7 Hindi Chapter 5 Summary

मिठाईवाला का सारांश | NCERT Solutions For Class 7 Hindi Chapter 5 Summary

        आज हम आप लोगों को वसंत भाग-2 के कक्षा-7  का पाठ-5 (NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 5 Vasant Bhag 2 ) के मिठाईवाला पाठ का सारांश (Mithaiwala class 7 Hindi Chapter 5 Summary) के बारे में बताने जा रहे है जो कि भगवतीप्रसाद वाजपेयी (Bhagwati Prasad Vajpeyi ) द्वारा लिखित है। इसके अतिरिक्त यदि आपको और भी NCERT हिन्दी से सम्बन्धित पोस्ट चाहिए तो आप हमारे website के Top Menu में जाकर प्राप्त कर सकते हैं।  

मिठाईवाला का सारांश | Mithaiwala Class 7 summary

         इस कहानी में लेखक ने एक फेरीवाले की भावनाओं को बहुत ही मर्मस्पर्शी ( मन में प्रभाव डालने वाला ) तरीके से चित्रित किया है। जब वह फेरीवाला पहली बार खिलौने बेचने जाता है तो वह बड़े ही विचित्र आधे अधूरे वाक्य में लेकिन मधुर स्वर में गाकर कहता है “बच्चों को बहलाने वाला, खिलौने वाला।” उसकी आवाज सुननेवाले के मन में हलचल मच जाती है। छोटे बच्चों की माएँ चिक उठाकर छज्जे से झाँकने लगती हैं तो बच्चों का झुंड खिलौने वाले को घेर लेता है। खिलौने वाला वहीं बैठकर अपनी पेटी खोलकर बच्चों को खिलौने दिखाने लगता है। सभी बच्चे अपने छोटे-छोटे हाथों से खिलौने लेते हैं और अपनी प्यारी तोतली-सी आवाज में दाम पूछते हैं- “इछका दाम क्या है? औल इछका? औल इछका?”

         राय विजयबहादुर के बच्चे चुन्नू-मुन्नू भी खिलौने लेकर उछलते-कूदते घर पहुँचे फिर चुन्नू बोला- “मेला घोला कैछा छुंदल ऐ!” उसके बाद मुन्नू बोलता है- “औल देखो, मेला कैछा छुंदल ऐ!”

          उसकी माँ रोहिणी ने उससे पूछती है कि ये खिलौने तुम दोनों ने कितने में लिए तो चुन्नू-मुन्नू ने बताया कि- “दो पैछे में। खिलोनेवाला दे गया ऐ।“ यह सुनकर रोहिणी को बहुत ही आश्चर्य हुआ कि इतने सस्ते में खिलौनेवाला खिलौने कैसे दे गया। बात छोटी-सी थी, रोहिणी अपने काम में लग गई।

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          छह महीने बाद पूरे नगर में एक मुरलीवाले के आने का समाचार चार दिन से फैला हुआ था। सभी लोग बातें कर रहे थे कि वह बड़ी अच्छी मुरली बजाता है और सिर्फ दो ही पैसे में मुरली बेचता भी है। उसे देखकर ऐसा लगता है जैसे वह वही खिलानेवाला है जो पहले आया करता था। मुरली वाले की मधुर आवाज भी गलियों में उसी प्रकार सुनाई देने लगी “बच्चों को बहलाने वाला, मुरलियावाला।” जब इस मुरलियावाले आवाज रोहिणी ने सुनी तो उसे तुरन्त उस खिलौने वाले की याद आ गई। चुन्नू-मुन्नू पार्क में खेलने गए थे, इसलिए रोहिणी ने मुरली खरीदने के लिए अपने पति से कहा कि वह मुरलीवाले को बुला लाएँ। बच्चों से घिरे हुए मुरलीवाले से विजय बाबू ने मुरली का मूल्य पूछा तो उसने कहा कि वह देता तो तीन पैसे में है लेकिन उन्हें दो पैसे में ही दे देगा। यह सुनकर विजयबाबू मुस्करा उठे। उन्होंने कहा “देते तो सभी को इसी दाम में, लेकिन एहसान मेरे ऊपर लाद रहे हो।” उनकी बात सुनकर मुरलीवाले ने कहा कि इन मुरली का असली मूल्य तो दो-पैसा ही है। कहीं और यह इस दाम पर नहीं मिलेंगी बाबू जी। ग्राहकों की तो आदत होती है दुकानदारों को लुटेरा समझने की। विजय बाबू ने कहा कि उनके पास वक्त नहीं है, वह जल्दी उन्हें दी मुरलियाँ दे दे। मुरलीवाले से मुरलियाँ लेकर विजयबाबू अंदर आ गए और वह मुरलीवाला वहीं बैठकर बड़े प्यार से बच्चों को मुरली देने लगा। रोहिणी बच्चों के साथ उसके स्नेह भरे बातों को सुनकर समझ गई कि वह एक भला आदमी है और संभवतः किसी मजबूरी में यह काम करता है। बहुत दिनों तक रोहिणी को मुरलीवाले की प्रेम से युक्त बातें याद आती रहीं। फिर याद धुंधली पड़ गई।

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          आठ महीने बाद सरदी के दिन में रोहिणी छत पर बैठकर अपने बालों को सुखा रही थी, तभी उसके कानों में आवाज आई, “बच्चों को बहलानेवाला, मिठाईवाला।” रोहिणी तुरंत नीचे आई। उस समय पति घर में नहीं थे। उसने दादी से मिठाईवाले को बुलाने को कहा और खुद चिक के पीछे खड़ी हो गई। दादी ने मिठाईवाले को बुलाया। मिठाईवाला आकर बैठ गया और मिठाइयों की विशेषता बताने लगा। उसने कहा कि वह पैसे की सोलह मिठाइयाँ देता है। दादी ने उससे पच्चीस मिठाई देने को कहा तो वह नहीं माना। रोहिणी ने दादी से कहा कि वह चार पैसे की मिठाइयाँ ले लें। फिर उसने दादी से मिठाईवाले से पूछने को कहा कि क्या वह शहर में पहली बार आया है। उसकी बात सुन मिठाईवाले ने बताया कि वह पहले मुरली और खिलौने लेकर भी आ चुका है। रोहिणी ने उससे फिर पूछा कि इन व्यवसायों से भला उसे क्या मिलता है? मिठाईवाले ने कहा कि खाने भर को मिल जाता है लेकिन जो संतोष और असीम सुख उसे प्राप्त होता है उसके आगे धन कुछ भी नहीं है। उसकी बातों से रोहिणी की उत्सुकता बढ़ गयी। रोहिणी के बहुत पूछने  पर मिठाईवाले ने बड़ी गंभीरता के साथ उसे अपनी कहानी सुनाई।

          वह मिठाईवाला अपने नगर का बहुत ही प्रतिष्ठित आदमी था। उसके पास मकान, व्यवसाय, गाड़ी-घोड़े, नौकर-चाकर सब कुछ था। स्त्री थी, बच्चे थे, परंतु भाग्य की लीला कुछ ऐसी रही कि अब कोई साथ नहीं है। जीवन कठिन हो गया है, इसलिए खिलौने और मिठाई के बहाने वह अपने बच्चों की खोज में निकला है। उसे आशा है कि उसके बच्चों ने कहीं न कहीं किसी रूप में जन्म अवश्य लिया होगा। वह पैसों के लिए नहीं बच्चों के बीच अपना मन बहलाने आता है। रोहिणी ने देखा मिठाईवाले की आँखें आँसुओं से गीली थीं। उसी समय चुन्नू-मुन्नू आ गए। मिठाईवाले ने उन्हें मिठाई दी। रोहिणी ने उसकी ओर पैसे (मिठाई के दाम) फेंके तो उसने कहा कि अब इस बार वह पैसे न ले सकेगा। उसने पेटी उठाई और अपने मधुर स्वर में गाता हुआ निकल गया- “बच्चों को बहलानेवाला, मिठाईवाला।”  

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 5 | मीठाईवाला

प्रश्न-अभ्यास

 कहानी से

प्रश्न 1. मिठाईवाला अलग-अलग चीजें क्यों बेचता था और वह महीनों बाद क्यों आता था?

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उत्तर- Read More

        इस पोस्ट के माध्यम से हम वसंत भाग-2 के कक्षा-7  का पाठ-5 (NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 5 Vasant Bhag 2) के मिठाईवाला पाठ का सारांश (Mithaiwala class 7 Hindi Chapter 5 Summary) के बारे में  जाने जो की भगवतीप्रसाद वाजपेयी (Bhagwati Prasad Vajpeyi) द्वारा लिखित हैं । उम्मीद करती हूँ कि आपको हमारा यह पोस्ट पसंद आया होगा। पोस्ट अच्छा लगा तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूले। किसी भी तरह का प्रश्न हो तो आप हमसे कमेन्ट बॉक्स में पूछ सकतें हैं। साथ ही हमारे Blogs को Follow करे जिससे आपको हमारे हर नए पोस्ट कि Notification मिलते रहे।

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