कठपुतली कविता का भावार्थ | NCERT Solutions For Class 7 Hindi Chapter 4 Summary

कठपुतली कविता का भावार्थ | NCERT Solutions For Class 7 Hindi Chapter 4 Summary

        आज हम आप लोगों को वसंत भाग-2 के कक्षा-7  का पाठ-4 (NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 4 Vasant Bhag 2 ) के कठपुतली कविता का भावार्थ (Kathputli class 7 Hindi Chapter 4 Summary) के बारे में बताने जा रहे है जो कि भवानीप्रसाद मिश्र (Bhawani Prasad Mishra) द्वारा लिखित है। इसके अतिरिक्त यदि आपको और भी NCERT हिन्दी से सम्बन्धित पोस्ट चाहिए तो आप हमारे website के Top Menu में जाकर प्राप्त कर सकते हैं।  

कठपुतली कविता का भावार्थ | Kathputli Poem Class 7 Summary

कठपुतली

गुस्से से उबली

बोली-ये धागे

क्यों हैं मेरे पीछे-आगे?

इन्हें तोड़ दो;

मुझे मेरे पाँवों पर छोड़ दो।

शब्दार्थ- कठपुतली- धागे से बँधी गुड़िया जिसे अंगुलियों के इशारों पर नचाया जाता है। गुस्से से उबली- क्रोधित हो गई। पाँव पर छोड़ देना- अपने ऊपर निर्भर होने देना।

प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक ‘वसंत भाग-2’ में संकलित कविता कठपुतली नामक कविता से उद्धृत हैं। इसके रचयिता ‘भवानी प्रसाद मिश्र’ कठपुतली की भावनाओं का उल्लेख कर रहे हैं।

व्याख्या- उपर्युक्त पंक्तियों द्वारा कवि ने एक कठपुतली के मन के बारे में बताया है। दूसरे की ऊँगलियों के इशारों पर नाचने से कठपुतलियाँ परेशान हो गई हैं और वो अब सारे धागे को तोड़कर स्वतंत्र होना चाहती हैं। कठपुतली गुस्से में कहती है कि मेरे चारों तरफ लगे इस धागे को तोड़ दो और मुझे मेरे पैरों पर छोड़ दो। मुझे दूसरे लोगों के  बंधन में नहीं रहना है, मुझे स्वतंत्र रहना है।

सुनकर बोलीं और-और

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कठपुतलियाँ

कि हाँ,

बहुत दिन हुए

हमें अपने मन के छंद छुए।

शब्दार्थ- और-और- दूसरी। मन के छंद छूना- मन की बात सुनना।

प्रसंग- उपर्युक्त पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘वसंत भाग-2’ में संकलित कविता कठपुतली नामक कविता से उद्धृत हैं। इसके रचयिता भवानी प्रसाद मिश्र ने इसमें सभी कठपुतलियों की इच्छा का उल्लेख किया है।

व्याख्या- इस पंक्ति में कवि यह बता रहे है कि पहली कठपुतली की स्वतंत्रता की बात सुनकर दूसरी कठपुतलियों के मन में भी आजादी की इच्छा होने लगी और वे भी उसकी हाँ में हाँ मिलाते हुए कहती हैं कि हमें भी स्वतंत्र होना है, हमें भी अपने पैरों पर चलने की इच्छा पूरी करनी है। अपनी मन मर्जी से काम करने का उन्हें अवसर नहीं मिला। अतः सभी कठपुतलियाँ विद्रोह के लिए तैयार हो जाती है।

मगर…………

पहली कठपुतली सोचने लगी-

ये कैसी इच्छा

मेरे मन में जगी?

शब्दार्थ- इच्छा जगना- चाहत उत्पन्न होना।

प्रसंग- उपर्युक्त पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘वसंत भाग-2’ में संकलित कविता कठपुतलीनामक कविता से ली गई हैं। इसके रचयिता भवानी प्रसाद मिश्र है। प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने पहली कठपुतली की सोच के विषय में बताया है।  

व्याख्या- पहली कठपुतली की बात सुनकर जब सभी कठपुतलियाँ आजादी के लिए विद्रोह करने को तैयार हो जाती है, तो पहली कठपुतली सोचने लगती है। पहली कठपुतली ने केवल अपनी आजादी के विषय में सोचा था, इसलिए वह क्रोधित हो गई थी, परंतु अब जब उसके ऊपर सभी कठपुतलियों की आजादी की जिम्मेदारी आ गई है तो वह सोच समझ कर कदम उठाना जरूरी समझती है क्योंकि आजाद हो जाना तो सरल है परंतु आजादी को बनाए रखना कठिन है।

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कठपुतली प्रश्न उत्तर | Kathputli Poem Class 7 Hindi Chapter 4 Question Answer 

प्रश्न-अभ्यास

 कविता से

प्रश्न 1. कठपुतली को गुस्सा क्यों आया?

उत्तर : Read More

       इस पोस्ट के माध्यम से हम वसंत भाग-2 के कक्षा-7  का पाठ-4 (NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 4 Vasant Bhag 2) के कठपुतली कविता का भावार्थ (Kathputli class 7 Hindi Chapter 4 Summary) के बारे में  जाने जो की भवानीप्रसाद मिश्र (Bhawani Prasad Mishra) द्वारा लिखित हैं । उम्मीद करती हूँ कि आपको हमारा यह पोस्ट पसंद आया होगा। पोस्ट अच्छा लगा तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूले। किसी भी तरह का प्रश्न हो तो आप हमसे कमेन्ट बॉक्स में पूछ सकतें हैं। साथ ही हमारे Blogs को Follow करे जिससे आपको हमारे हर नए पोस्ट कि Notification मिलते रहे।

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