किस तरह आखिरकार मैं
हिंदी में आया
NCERT Solution for Class 9
हिंदी में आया
NCERT Solution for Class 9
Kis Tarah Aakhirkar Main Hindi
Mein Aaya question and answer
Kis Tarah Aakhirkar Main Hindi
Mein Aaya question and answer
Kis Tarah Aakhirkar Main Hindi Mein Aaya
Question and Answer
प्रश्न 1 : वह ऐसी कौन सी बात रही होगी जिसने लेखक को दिल्ली जाने के लिए बाध्य कर दिया ?
उत्तर : लेखक जिन दिनों बेरोजगार थे उन दिनों शायद किसी ने उन्हें कटु बातें की होगी जिसे वे बर्दाश्त नहीं कर पाए होंगे और दिल्ली चले आए होंगे।
प्रश्न 2 : लेखक को अंग्रेज़ी में कविता लिखने का अफ़सोस क्यों रहा होगा ?
उत्तर : लेखक को अंग्रेज़ी में कविता लिखने का अफ़सोस इसलिए रहा होगा क्योंकि वह भारत के जनता की भाषा नहीं थी। इसलिए भारत के लोग यानी उनके अपने लोग उस भाषा को समझ नहीं पाते होंगे।
प्रश्न 3 : अपनी कल्पना से लिखिए कि बच्चन ने लेखक के लिए नोट में क्या लिखा होगा?
उत्तर : दिल्ली के उकील आर्ट स्कूल में बच्चनजी ने लेखक के लिए एक नोट छोड़कर गए थे। उस नोट में शायद उन्होंने लिखा होगा कि तुम इलाहाबाद आ जाओ। लेखन में ही तुम्हारा भविष्य निहित है। संघर्ष करने वाले व्यक्ति ही जीवन पथ पर अग्रसर होते हैं अतःपरिश्रम से सफलता अवश्य तुम्हारे कदम चूमेगी।
प्रश्न 4 :लेखक ने बच्चन के व्यक्तित्व के किन-किन रूपों को उभारा है?
उत्तर : लेखक ने बच्चन के व्यक्तित्व को अनेक रूपों में उभारा है-
1) बच्चन का स्वभाव बहुत ही संघर्षशील, परोपकारी और फौलादी संकल्प वाला था।
2) बच्चनजी समय के पाबन्द होने के साथ-साथ कला-प्रतिभा के पारखी थे। उन्होंने लेखक द्वारा लिखे गए एक ही सॉनेट को पढ़कर उनकी कला- प्रतिभा को पहचान लिया था।
3) बच्चनजी अत्यंत ही कोमल एवं सहृदय के मनुष्य थे।
4) वे हृदय से ही नहीं, कर्म से भी परम सहयोगी थे। उन्होंने न केवल लेखक को इलाहाबाद बुलाया बल्कि लेखक की पढ़ाई का सारा जिम्मा भी अपने ऊपर उठा लिया।
प्रश्न 5 : बच्चन के अतिरिक्त लेखक को अन्य किन लोगों का तथा किस प्रकार का सहयोग मिला?
उत्तर : बच्चन के अतिरिक्त लेखक को निम्नलिखित लोगों का सहयोग प्राप्त हुआ-
१. 1-तेजबहादुर सिंह लेखक के बड़े भाई थे। ये आर्थिक तंगी के समय में उन्हें कुछ रुपये भेजकर उनका सहयोग किया करते थे।
२. 2-कवि नरेंद्र शर्मा लेखक के मित्र थे। एक दिन वे लेखक से मिलने के लिए बच्चन जी के स्टूडियो में आये। छुट्टी होने कारण वे लेखक से नहीं मिल सके। तब वे उनके नाम पर एक बहुत अच्छा और प्रेरक नोट छोड़ गए। इस नोट ने लेखक को बहुत सी प्रेरणा दी।
३. 3-शारदाचरण उकील कला शिक्षक थे। इनसे लेखक ने पेंटिंग की शिक्षा प्राप्त की।
४. 4-हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि सुमित्रानंदन पंत ने लेखक को इंडियन प्रेस में अनुवाद का काम दिला दिया। उन्होंने लेखक द्वारा लिखी कविताओं में कुछ संशोधन भी किया।
५. 5-लेखक को देहरादून में केमिस्ट की दुकान पर कंपाउंडरी सिखाने में उसकी ससुराल वालों ने मदद की।
प्रश्न 6 : लेखक के हिंदी लेखन में कदम रखने का क्रमानुसार वर्णन कीजिये।
उत्तर : हरिवंशराय बच्चन जी के बुलावे पर लेखक इलाहाबाद आ गया। यहीं उन्होंने हिंदी कविता लिखने का गंभीरता से मन बनाया। इसी समय उनकी कुछ कविताएँ ‘सरस्वती’ और ‘चाँद’ पत्रिका में प्रकाशित हो चुकी थीं। उन्होंने बच्चन जी की ‘निशा निमंत्रण’ के रूप प्रकार पर भी लिखने का प्रयास किया, पर ऐसा लिखना उन्हें कठिन जान पड़ा। उनकी एक कविता को पंत जी ने संशोधित किया। सरस्वती पत्रिका में छपी एक कविता ने निराला का ध्यान खींचा। इसके बाद लेखक ने हिंदी लेखन में नियमित रूप से कदम बढ़ा दिया।
प्रश्न 7 : लेखक ने अपने जीवन में जिन कठिनाइयों को झेला है, उनके बारे में लिखिए।
उत्तर : लेखक ने अपने जीवन में प्रारम्भ से ही अनेक कठिनाइयों को झेला है। वह किसी के व्यंग्य-बाण का शिकार होकर केवल पाँच – सात रुपए लेकर ही दिल्ली चले गए। वह बिना किसी फीस के पेंटिंग के उकील स्कूल में भर्ती हो गए। वहाँ उन्हें साइन – बोर्ड पैंट करके गुजारा चलाना पड़ा। लेखक की पत्नी का टी.बी. के कारण देहांत हो गया था और वे युवावस्था में ही विधुर हो गए थे। इसलिए उन्हें पत्नी – वियोग का पीड़ा भी झेलना पड़ा था। बाद में एक घटना-चक्र में लेखक अपनी ससुराल देहरादून आ गया। वहाँ वह एक दूकान पर कम्पाउंडरी सिखने लगे थे। वह बच्चन जी के आग्रह पर इलाहाबाद चले गए। वहाँ बच्चन जी के पिता उनके लोकल गार्जियन बने। बच्चन जी ने ही उनकी एम.ए. की पढ़ाई का खर्चा उठाया। बाद में उन्होंने इंडियन प्रेस में अनुवाद का भी काम किया। उन्हें हिन्दू बोर्डिंग हाउस के कामन-रूम में एक सीट फ्री मिल गयी थी। तब भी वह आर्थिक संघर्ष से जूझ रहे थे।