Mati Wali Question and Answer | माटी वाली प्रश्न-उत्तर | NCERT Solution for Class-9

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Mati Wali Question and Answer | माटी वाली प्रश्न उत्तर | NCERT Solution for Class-9

 

          आज हम आप लोगों को कृतिका भाग 1  कक्षा-9 पाठ-4  (NCERT Solution for class 9 Kritika bhag-1) माटी वाली ( Mati Wali ) गद्य खंड के प्रश्न-उत्तर (Question and Answer) के बारे में बताने जा रहे है जो कि विद्यासागर नौटियाल ( vidyasagar nautiyal ) द्वारा लिखित है। इसके अतिरिक्त यदि आपको और भी NCERT हिन्दी से सम्बन्धित पोस्ट चाहिए तो आप हमारे website के Top Menu में जाकर प्राप्त कर सकते हैं।

 

      माटी वाली प्रश्न-उत्तर | Mati Wali Question  and Answer  

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            प्रश्न 1 : शहरवासी सिर्फ माटी वाली को नहीं, उसके कनस्तर को भी अच्छी तरह पहचानते हैं। आपकी समझ से वे कौन से कारण रहे होंगे जिनके रहते ‘माटी वाली’ को सब पहचानते थे?

          उत्तर: शहरवासी माटी वाली तथा उसके कनस्तर को इसलिए पहचानते होंगे क्योंकि पूरे टिहरी शहर में  वहीं अकेली माटी वाली थी। उसका कोई भी प्रतियोगी नहीं था। वही शहरों के सभी घरों में लीपने वाली लाल मिट्टी देती थी। लाल मिट्टी की सबको ज़रुरत होती थी। इसलिए सभी उसे पहचानते थे तथा उसके ग्राहक थे। वह पिछले कई वर्षों से शहर की सेवा कर रही थी। इस कारण स्वाभाविक रूप से सभी लोग उसे पहचानते थे । माटी वाली की गरीबी, फटेहाली और बेचारगी भी उसकी पहचान का एक मुख्य कारण रही होगी।

           प्रश्न 2: माटी वाली के पास अपने अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में ज़्यादा सोचने का समय क्यों नहीं था?

          उत्तर: माटी वाली एक गरीब और निम्न स्तर का जीवन जीने वाली महिला थी| वह मेहनत करके रोजी-रोटी कमाती थी। उसके सामने सबसे बड़ी समस्या अपना तथा बुड्ढे का पेट पालना ही था | इस काम के लिए पहले वह माटाखान जाती थी और वहाँ से मिट्टी खोदकर लाती थी फिर उसे कनस्तर में भर कर घर-घर बेचती थी। इन्ही सब काम मे उसका सारा समय बीत जाता था जिसके चलते माटी वाली के पास अपने अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में सोचने का अवसर ही नहीं मिल पाता था।

          प्रश्न 3 : ‘भूख मीठी कि भोजन मीठा’ से क्या अभिप्राय है?

         उत्तर: इस प्रश्न से यह तात्पर्य है कि भोजन मीठा या स्वादिष्ट नहीं होता, वह भूख के कारण स्वादिष्ट लगता है। इसलिए रोटी चाहे रूखी हो या साग के साथ; वह भूख के कारण मीठी प्रतीत होती है| अतः स्वाद भोजन में नहीं, भूख में होता है। भूख लगने पर रूखा सूखा भोजन भी स्वादिष्ट लगने लगता है। भूख न होने पर स्वादिष्ट भोजन भी बे-स्वाद लगने लगता है।

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माटी वाली सारांश
कृतिका भाग-1
क्षितिज भाग 1

 

           प्रश्न 4 : ‘पुरखों की गाढ़ी कमाई से हासिल की गयी चीज़ों को हराम के भाव बेचने को मेरा दिल गवाही नहीं देता।’- मालकिन के इस कथन के आलोक में विरासत के बारे में अपने विचार व्याक्त कीजिये।

         उत्तर: पीढ़ियों से चली आ रही धरोहर ही हमारी विरासत है। यह अमूल्य है। इसका मूल्य रूपये-पैसों में नहीं आंका जा सकता है। इसे तो संभालकर ही रखना चाहिए। कुछ लोग स्वार्थवश इसे औने-पौने दामों में बेच देते हैं, जो कभी भी उचित नहीं होता है। हमें इनके पीछे छिपी भावना को समझना चाहिए। यह हमारे पूर्वजों की धरोहर है जिसे संभालकर रखना हमारा कर्तव्य है। यहीं धरोहर किसी दिन हमारे लिए गर्व का विषय बन जाता है ।

           प्रश्न 5 : माटी वाली का रोटियों का इस तरह हिसाब लगाना उसकी किस मजबूरी को प्रकट करता है?

          उत्तर : माटी वाली का रोटियों का हिसाब लगाना उसकी गरीबी और आवश्यकता की मजबूरीयों को प्रकट करता है। वह इस तरह की मजदूरी करती है कि उससे उसका जीवन निर्वाह करना तक कठिन हो जाता है। इससे यह भी पता चलता है कि उन रोटियों से उसको केवल अपना ही नहीं, बल्कि अपने बूढ़े पति का भी पेट भरना पड़ता है।

           प्रश्न 6 : ‘आज माटी वाली बुड्डे को कोरी रोटियाँ नहीं देगी।’- इस कथन के आधार पर माटी वाली के हृदय के भावों को अपने शब्दों में लिखिए।

          उत्तर : माटी वाली सभी घरों से मिली रोटियों में से वह कुछ रोटियाँ अपने बूढ़े पति के लिए छिपा कर ले आती है। पर उसके पास कोई सब्जी नहीं होता। आज वह निश्चय करती है कि वह अपने बूढ़े पति को कोरी रोटियाँ न देकर साथ में प्याज की सब्जी बनाकर भी देगी। इससे उसका बूढ़ा पति खुश हो जायेगा।  माटी वाली के हृदय में अपने बूढ़े पति के लिए करूणा एवं रागात्मक भावों की उत्पत्ति होती है। वह अपने पति के स्वाद एवं स्वास्थ दोनों के बारे में चिंता करती है। उसे पता है कि अब बूढ़े की पाचन शक्ति घट गयी है। वह हर हाल में बूढ़े पति को खुश देखना चाहती है। उसे बूढ़े के प्रति सहानुभूति होती है।

           प्रश्न 7 : गरीब आदमी का श्मशान नहीं उजड़ना चाहिए। इस कथन का आशय स्पष्ट किजिये।

          उत्तर : इस कथन में बहुत ही गहरा व्यंग्य निहित है। घर उजड़ने के बाद उसमें और श्मशान में कोई अंतर नहीं रहता। इसी मानसिक अवस्था से माटी वाली गुजर रही होती है। वह सोचती है कि इस विकास की अंधी दौर में इंसान तो इंसान मुर्दो के लिए भी जगह नहीं बची है। कम-से-कम इस जगह को तो बख्श देना चाहिए था।

         इस पोस्ट के माध्यम से हम कृतिका भाग 1  कक्षा-9 पाठ-4  (NCERT Solution for class 9 Kritika bhag-1) माटी वाली गद्य खंड के प्रश्न-उत्तर (Question and Answer) के बारे में जाने, जो कि विद्यासागर नौटियाल ( vidyasagar nautiyal ) जी द्वारा लिखित हैं । उम्मीद करती हूँ कि आपको हमारा यह पोस्ट पसंद आया होगा। पोस्ट अच्छा लगा तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूले। किसी भी तरह का प्रश्न हो तो आप हमसे कमेन्ट बॉक्स में पूछ सकतें हैं। साथ ही हमारे Blogs को Follow करे जिससे आपको हमारे हर नए पोस्ट कि Notification मिलते रहे।

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कृतिका भाग 1  
सारांश  प्रश्न-उत्तर 
अध्याय- 1 इस जल प्रलय में  प्रश्न-उत्तर
अध्याय- 2 मेरे संग की औरतें प्रश्न-उत्तर
अध्याय- 3 रीढ़ की हड्डी प्रश्न-उत्तर
अध्याय- 4 माटी वाली प्रश्न-उत्तर
अध्याय- 5 किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया प्रश्न-उत्तर

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