मैं क्यों लिखता हूँ पाठ का सार | Main Kyun Likhta Hu Summary | NCERT Class 10 Hindi Chapter 5

मैं क्यों लिखता हूँ पाठ का सार | Main Kyun Likhta Hu Summary | NCERT Class 10 hindi Chapter 5

Main Kyun Likhta Hu Summary | NCERT Solutions For Class 10 hindi Kritika Bhag 2 Chapter 5

मैं क्यों लिखता हूँ पाठ का सार | Main Kyun Likhta Hu Summary | NCERT Solutions For Class 10 hindi Kritika Bhag 2 Chapter 5

           आज हम आप लोगों को कृतिका भाग-2 के कक्षा-10  का पाठ-5 (NCERT Solutions for Class-10 Hindi Kritika Bhag-2 Chapter-5) के मैं क्यों लिखता हूँ पाठ का सारांश (Main Kyun Likhta Hu Summary) के बारे में बताने जा रहे है जो कि सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ (Sachchidanand Hiranand Vatsyayan “Agay”) द्वारा लिखित है। इसके अतिरिक्त यदि आपको और भी NCERT हिन्दी से सम्बन्धित पोस्ट चाहिए तो आप हमारे website के Top Menu में जाकर प्राप्त कर सकते हैं।   

मैं क्यों लिखता हूँ पाठ का सार | Main Kyun Likhta Hu Summary

         इस पाठ के माध्यम से लेखक ने स्पष्ट किया है कि लिखने के लिए प्रेरणा कैसे उत्पन्न होती है? लेखक उस पक्ष को अधिक स्पष्टता और ईमदारी से लिख पाता है जिसे वह स्वयं प्रत्यक्ष रूप से देख सकता है। लेखक विज्ञान के छात्र थे। लेखक ने जापान के शहर हिरोशिमा में हुए रेडियोधर्मी विस्फोट के प्रभाव के बारे में केवल सुने थे, जब वह जापान गए वहाँ एक पत्थर पर आदमी की शक्ल में काली छाया को देखे तो उस रेडियोधर्मी के विस्फोट की भयावह रूप उनकी आँखों के सामने प्रत्यक्ष रूप में प्रतीत होने लगा और उस याद को लेखक ने भारत आकर रेल में बैठे-बैठे उसे कविता के रूप में उतारा।

          लेखक- ‘मैं क्यों लिखता हूँ’ का उत्तर देते हुए कहते है कि मैं इसलिए लिखता हूँ क्योंकि मैं स्वयं को जानना चाहता हूँ। बिना लिखे मैं इस प्रश्न का उत्तर नहीं जान सकता हूँ। लेखक का मानना है कि लिखकर ही लेखक अपने अभ्यन्तर विवशता को पहचान सकता है और लिखकर ही उससे मुक्त हो सकता है, इसलिए वह लिखता है। लिखने के पीछे सभी लेखकों के लिए कोई न कोई कारण होता हैं। कुछ ख्याति मिल जाने के बाद कुछ बाहर की विवशता से लिखते हैं जैसे सम्पादकों के आग्रह से, प्रकाशक के तकाजे से, आर्थिक आवश्यकता से। कुछ अभ्यन्तर प्रेरणा से लिखते हैं। हर एक रचनाकार या लेखक यह भेद बनाए रखता है कि कौन सी कृति भीतरी प्रेरणा का फल है और कौन सी कृति बाहरी दबाव की। इनमें से कुछ ऐसे आलसी जीव भी होते हैं कि बिना किसी बाहरी दबाव के लिख ही नहीं सकते। यह कुछ उसी प्रकार है कि जैसे सुबह नींद खुल जाने पर भी बिस्तर पर तब तक पड़ा रहे जब तक घड़ी का अलार्म बज न जाए। इस प्रकार कृतिकार बाहर के दबाव के प्रति समर्पित हुए बिना उसे सहायक यन्त्र की तरह काम में लाता है जिससे भौतिक यथार्थ से सम्बन्ध जुड़ा रहे। लेखक कहता है कि उसे इस सहारे की जरूरत नहीं पड़ती है। वह अपने आप ही उठ जाता है। अलार्म भी बज जाए तो कोई हानि नहीं।

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NCERT / CBSE Solution for Class-10 (HINDI)

कृतिका भाग-2 ( गद्य खंड )

सारांश  प्रश्न-उत्तर 
अध्याय- 1 माता का आँचल प्रश्न-उत्तर 
अध्याय- 2 जॉर्ज पंचम की नाक प्रश्न-उत्तर
अध्याय- 3 साना साना हाथ जोड़ि प्रश्न-उत्तर 
अध्याय- 4 एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा प्रश्न-उत्तर 

          भीतरी विवशता क्या होती है? इसका वर्णन करना कठिन है। इसे समझाने के लिए लेखक उदाहरण देते है कि मैं विज्ञान का विद्यार्थी रहा हूँ इसीलिए रेडियोधर्मिता के क्या प्रभाव होते हैं-इन सबका मुझे पुस्तकीय और सैद्धान्तिक ज्ञान है, जब हिरोशिमा पर अणुबम गिरा तो उन्होंने समाचार में पढ़ा। उसके प्रभावों का प्रमाण भी सामने आ गया। विज्ञान के इस अनुचित प्रयोग के प्रति बुद्धि का विद्रोह हुआ और लेखक ने लिखा भी, पर लेख में अनुभूति के स्तर पर जो यथार्थता होती है वह बौद्धिक पकड़ से आगे की बात होती है। इसलिए मैंने इस विषय पर कविता नहीं लिखी। लेखक बताते है कि युद्धकाल में ब्रह्मपुत्र नदी में बम फेंककर हजारों मछलियों को मार देते थे। जीव के इस उपव्यय से जो व्यथा भीतर उमड़ी थी, उससे एक सीमा तक अणुबम द्वारा व्यर्थ जीव-नाश का कुछ-कुछ अनुभव कर सका था। लेखक कहते है कि अनुभव घटनाओं को अनुभूति, संवेदना और कल्पना के सहारे आत्मसात कर लेती है। जापान जाकर जब हिरोशिमा के अस्पतालों में रेडियो-पदार्थ से आहत और कष्ट पा रहे लोगों को देखा और सब देखकर तत्काल कुछ नहीं लिख सका था।

          एक दिन लेखक सड़क पर घूम रहे थे तभी उन्होंने जले हुए पत्थर पर एक लम्बी सी उजली छाया देखी। उस छाया को देखकर थप्पड़ सा लगा। उन्हें लगा कि भीतर कहीं सहसा जलते हुए सूर्य सा उग आया है और डूब गया है। लेखक बताते है कि उस समय जैसे अणु विस्फोट मेरे अनुभूति पक्ष में आ गया और एक अर्थ में वह खुद हिरोशिमा के विस्फोट का भोक्ता बन गये। इसी से यह सहज विवशता जागी। भीतर की आकुलता बुद्धि के क्षेत्र से बढ़कर संवेदना के क्षेत्र में आ गई और एक दिन अचानक उन्होंने हिरोशिमा पर कविता लिख डाली। इस कविता को उन्होंने जापान में नहीं, बल्कि भारत लौटकर रैलगाड़ी में बैठे-बैठे लिखी।

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          यह कवित अच्छी है या बुरी ; इससे कुछ मतलब नहीं।

मैं क्यों लिखता हूँ प्रश्न-उत्तर | Main Kyun Likhta Hu Question Answer

प्रश्न 1 . लेखक के अनुसार प्रत्यक्ष अनुभव की अपेक्षा अनुभूति उनके लेखन में कहीं अधिक मदद करती है, क्यों?

उत्तर : Read More

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