NCERT Solutions For Class 10 hindi: मैं क्यों लिखता हूँ प्रश्न-उत्तर

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आज हम आप लोगों को कृतिका भाग-2 के कक्षा-10  का पाठ-5 (NCERT Solutions for Class-10 Hindi Kritika Bhag-2 Chapter-5) के मैं क्यों लिखता हूँ पाठ का प्रश्न-उत्तर (Main Kyun Likhta Hu Question Answer) के बारे में बताने जा रहे है जो कि सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ (Sachchidanand Hiranand Vatsyayan “Agay”) द्वारा लिखित है। इसके अतिरिक्त यदि आपको और भी NCERT हिन्दी से सम्बन्धित पोस्ट चाहिए तो आप हमारे website के Top Menu में जाकर प्राप्त कर सकते हैं।   

NCERT Solutions For Class 10 hindi Chapter 5 Main Kyun Likhta Hu Question Answer

प्रश्न अभ्यास

पाठ्य-पुस्तक से

प्रश्न 1 . लेखक के अनुसार प्रत्यक्ष अनुभव की अपेक्षा अनुभूति उनके लेखन में कहीं अधिक मदद करती है, क्यों?

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उत्तर : लेखक का मानना है कि प्रत्यक्ष अनुभव से बाहर से एक दबाव पड़ता है परन्तु यह दबाव इतना भी ज्यादा नहीं होता कि लिखने के लिए झकझोड़ दे। जबकि दूसरी ओर अनुभूति एक ऐसी चीज होती है जो अंदर से मन को झकझोड़ के रख देती है और वह लिखने के लिए आंदोलित हो उठता है साथ ही नई रचना का निर्माण करता है।

प्रश्न 2 . लेखक ने अपने आपको हिरोशिमा के विस्फोट का भोक्ता कब और किस तरह महसूस किया?

उत्तर : लेखक पहले ही हिरोशिमा में हुए बम-विस्फोट के परिणामों को अखबारों में पढ़ चुके थे। जब लेखक जापान गए तो उन्होंने हिरोशिमा के अस्पतालों में घायल लोगों को देखा साथ-ही अणु-बम के प्रभावों को भी प्रत्यक्ष रूप में भी देखे थे, और देखकर भी अनुभूति नहीं हुई इसलिए भोक्ता नहीं बन सके। फिर एक दिन वहीं सड़क पर घूमते हुए एक जले हुए पत्थर पर एक लम्बी उजली छाया देखी। उसे उजली छाया को देखकर विज्ञान का छात्र रहे लेखक सोचने लगे कि विस्फोट के समय कोई वहाँ खड़ा रहा होगा और विस्फोट से निकले हुए रेडियोधर्मी पदार्थ की किरणें उस व्यक्ति में रुद्ध हो गई होंगी और किरणें आगे बढ़कर पत्थर को झुलसा दिया होगा, और आदमी को भाप बनाकर उड़ा दिया होगा। इस प्रकार ये सारी घटना जैसे पत्थर पर लिखी गई है। उस छाया को देखकर लेखक को थप्पड़ सा लगा। लेखक को महसूस हुआ कि जैसे मेरे भीतर सहसा एक जलता हुआ सूर्य-सा उग आया है और डूब गया है। मैं कहूँ कि उस क्षण में अणु विस्फोट मेरे अनुभूति में आ गया और एक अर्थ में वह खुद हिरोशिमा के विस्फोट का भोक्ता बन गये। 

प्रश्न 3 . ‘मैं क्यों लिखता हूँ ?’ के आधार पर बताइए कि- 

(क) लेखक को कौन-सी बातें लिखने के लिए प्रेरित करती हैं? 

(ख) किसी रचनाकार के प्रेरणास्रोत किसी दूसरे को कुछ भी रचने के लिए किस तरह उत्साहित कर सकते हैं?

उत्तर : (क) किसी भी लेखक को लिखने के लिए निम्नलिखित बातें प्रेरित करती हैं-

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  1. लिखने की प्रवृत्ति में जब अपनी व्यक्तिगत अनुभूति को प्रकट करने की उत्कण्ठा इतनी बलवान हो जाती है कि उसे न लिखने तक बेचैन बनाए रखती है। इस प्रकार लेखक को लिखने के लिए आंतरिक विवशता प्रेरित करती है।
  2. जब लेखक प्रसिद्ध हो जाते हैं तो सम्पादक और प्रकाशक कुछ लिखनेका लेखक से आग्रह करते हैं और लेखक लिख देते हैं।
  3. लेख लिखने के लिए पारिश्रमिक भी सम्मान के साथ मिलता है। अपनी आर्थिक आकांक्षाओं की पूर्तिके लिए भी लेखक लिखते हैं।
  4. कुछ लेखक ऐसे भी होते हैं जिनकी कोई आकांक्षा नहीं होती है वे लिखते हैं और लिखते रहते हैं। उनमेंआत्मा की सन्तुष्टि की भावना होती है और यह भी कामना होती है कि लिखते-लिखते इतना सुधार हो जाए और उनकी पहचान बन सके।

(ख) किसी भी रचनाकार के जो प्रेरणा-स्रोत होते है, वो रचनाकार को कुछ भी लिखने के लिए विभिन्न प्रकार से उत्साहित करते है और कुछ भी लिखने की अपेक्षा करते हैं। लेखक को जो भी बातें लिखने के लिए प्रेरित करती हैं उन सबकी सम्पूर्ति को पूरा होने की बात कहते हैं या उनसे मुक्त हो जाने का प्राप्त अवसर बताते हैं।

प्रश्न 4 . कुछ रचनाकारों के लिए आत्मानुभूति/स्वयं के अनुभव के साथ-साथ बाह्य दबाव भी महत्वपूर्ण होता है। ये बाह्य दबाव कौन-कौन से हो सकते हैं?

उत्तर : कुछ रचनाकारों की रचनाओं में खुद की अनुभूति से उत्पन्न विचार को लिखते हैं, तो कुछ रचनाकार अनुभवों से प्राप्त विचारों को लिखते है। इसके साथ-साथ ऐसे भी कारण उपस्थित हो जाते हैं कि जिससे अपने विचार नहीं होते हुए भी समाहित कर लिए जाते हैं। ये समाहित विचारों में बाह्य-दबाव होते हैं-

  1. सामाजिक परिस्थितियाँ का दबाव होता है।
  2. आर्थिक लाभ की आकांक्षा का दबाव होता है।
  3. प्रकाशकों और सम्पादकों का बार-बार आग्रह का दबाव होता है।
  4. विशिष्ट के पक्ष में विचारों को प्रस्तुत करने का दबाव होता है।

प्रश्न 5 . क्या बाह्य दबाव केवल लेखन से जुड़े रचनाकारों को ही प्रभावित करते हैं या अन्य क्षेत्रों से जुड़े कलाकारों को भी प्रभावित करते हैं, कैसे?

उत्तर : बाह्य-दबाव केवल रचनाकारों को ही प्रभावित नहीं करते अतः अन्य क्षेत्रों से जुड़े कलाकार भी बाह्य-दबावों से प्रभावित होते हैं। शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो जो बाह्य-दबाव से मुक्त हो। जैसे-

(1) गायक-गायिकाएँ के ऊपर भी आयोजकों और श्रोताओं का दबाव बना रहता है।

(2) सिनेमा-जगत से सम्बन्धित कलाकार पर भी निदेशक का दबाव साथ ही आर्थिक दबाव भी रहता है। 

(3) चित्रकार और मूर्तिकार पर भी बनवाने वाले ग्राहकों की इच्छाओं का दबाव रहता है।

प्रश्न 6 . हिरोशिमा पर लिखी कविता लेखक के अन्तः व बाह्य दोनों दबाव का परिणाम है यह आप कैसे कह सकते हैं ?

उत्तर : हिरोशिमा पर लेखक द्वारा लिखी कविता लेखक के हृदय की अनुभूति, भावों और शब्दों में जीवंत हो उठी है। कवि ने हिरोशिमा के भयंकर रूप को देखा था और वहाँ के आहत लोगों को भी देखा था। उस दृश्य को देखकर लेखक के मन में उन लोगों के प्रति सहानुभूति तो उत्पन्न हुई होगी किन्तु उनकी व्यक्तिगत त्रासदी नहीं बनी। जब लेखक ने पत्थर पर मनुष्य की उस काली छाया को देखा तो उन्हें उनके हृदय से अणु बम के विस्फोट का प्रतिरूप त्रासदी बनकर समाने आया और वही त्रासदी जीवंत हुई और कविता के रूप में परिवर्तित हो गई। इस तरह हिरोशिमा पर लिखी कविता अन्तः दबाव का परिणाम थी। बाह्य दबाव मात्र इतना हो सकता कि जापान से लौटने पर लेखक ने अभी तक कुछ नहीं लिखा। इससे प्रभावित हुए होंगे और कविता लिख दी।

प्रश्न 7 . हिरोशिमा की घटना विज्ञान का भयानकतम दुरुपयोग है। आपकी दृष्टि में विज्ञान का दुरुपयोग कहाँ-कहाँ और किस तरह से हो रहा है? 

उत्तर : हिरोशिमा पर अणुबम का गिरना एक ऐसी घटना थी जिसने सम्पूर्ण मानवता को हिलाकर रख दिया, यह विज्ञान का बहुत ही भयानक दुरूपयोग था। यदि इस अणुबम का विज्ञान द्वारा पुनः प्रयोग होता है तो सम्पूर्ण सृष्टि के नष्ट होने की सम्भावना बनी रहेगी। विज्ञान ने दुरुपयोग के क्षेत्रों का विस्तार कर लिया है अब यह केवल सुख-सुविधाओं का आधार नहीं रह गया है। जैसे

(1) समाज में विज्ञान के बढ़ते हुए दुरुपयोग से भ्रूण हत्याएँ भी बढ़ रही है।

(2) कंप्यूटर में वायरस जैसा कुछ गलत कार्य भी विज्ञान के बढ़ते सुख-सुविधाओं का प्रभाव है।

(3) देश की सुरक्षा के निर्मित हथियारों का आतंकवादियों द्वारा निर्दोषों की हत्या के लिए प्रयोग में लाना। 

(4) विविध कीटनाशकों का प्रयोग आत्महत्या में।

प्रश्न 8 . एक संवेदनशील युवा नागरिक की हैसियत से विज्ञान का दुरुपयोग रोकने में आपकी क्या भूमिका है?

उत्तर : एक संवेदनशील युवा नागरिक होने के कारण विज्ञान का दुरुपयोग रोकने के लिए हमारी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके लिए हम निम्नलिखित कार्य करते हुए अपनी सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं

(1) प्रदूषण को फैलाने तथा बढ़ाने वाले चीजें जैसे- प्लास्टिक, कूड़ा-कचरा आदि के बारे में लोगों को बताकर जागरूक किया जाए तथा पर्यावरण को हानि पहुचानें वाली वस्तुओं का कम प्रयोग किया जाए।

(2) विज्ञान के द्वारा बनाए गए हथियारों का प्रयोग यथासंभव लोगों की भलाई के लिए ही प्रयोग किए जाये, मनुष्यों के विनाश के लिए नहीं। आतंकवादियों तथा उग्रवादियों के हाथ में ये हथियार न पहुँच सकें, इसका ध्यान रखना चाहिए।

(3) विज्ञान की चिकित्सीय खोज का दुरुपयोग कर लोग प्रसवपूर्ण संतान के लिंग की जानकारी प्राप्त कर लेते हैं और कन्या शिशु की भ्रूण में ही हत्या कर देते हैं जिससे कारण समाज में विषमता तथा लिंगानुपात में असमानता आती है। इस बारे में लोगों के रोक लगाने की आवश्यकता है।

(4) विज्ञान अच्छा सेवक किंतु बुरा स्वामी है। यह बात लोगों तक फैलाकर इसके दुरुपयोग के परिणाम को बताने का 

प्रयत्न करें। 

          इस पोस्ट के माध्यम से हम कृतिका भाग-2 के कक्षा-10  का पाठ-5 (NCERT Solutions for Class-10 Hindi Kritika Bhag-2 Chapter-5) के मैं क्यों लिखता हूँ पाठ का प्रश्न-उत्तर (Main Kyun Likhta Hu Question Answer) के बारे में  जाने जो की  सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ (Sachchidanand Hiranand Vatsyayan “Agay”) द्वारा लिखित हैं । उम्मीद करती हूँ कि आपको हमारा यह पोस्ट पसंद आया होगा। पोस्ट अच्छा लगा तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूले। किसी भी तरह का प्रश्न हो तो आप हमसे कमेन्ट बॉक्स में पूछ सकतें हैं। साथ ही हमारे Blogs को Follow करे जिससे आपको हमारे हर नए पोस्ट कि Notification मिलते रहे।

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