Kallu Kumhar Ki Unakoti Summary | कल्लू कुम्हार की उनाकोटी सारांश | Class 9 Sanchayan Chapter 3

Kallu Kumhar Ki Unakoti Summary | कल्लू कुम्हार की उनाकोटी सारांश | Class 9 Sanchayan Chapter 3

Kallu Kumhar Ki Unakoti Summary | कल्लू कुम्हार की उनाकोटी सारांश | Class 9 Sanchayan Chapter 3

Kallu Kumhar Ki Unakoti Summary | कल्लू कुम्हार की उनाकोटी सारांश | Class 9 Sanchayan Chapter 3

          आज हम आप लोगों को संचयन भाग-1 के कक्षा-9 का पाठ-3 (NCERT Solutions for Class-9 Hindi Sanchayan Bhag-1 Chapter-3) के कल्लू कुम्हार की उनाकोटी पाठ का सारांश (Kallu Kumhar Ki Unakoti Summary ) के बारे में बताने जा रहे है जो कि के. बिक्रम सिंह (K. Vikram Singh) द्वारा लिखित है। इसके अतिरिक्त यदि आपको और भी NCERT हिन्दी से सम्बन्धित पोस्ट चाहिए तो आप हमारे website के Top Menu में जाकर प्राप्त कर सकते हैं।

Kallu Kumhar Ki Unakoti Summary | कल्लू कुम्हार की उनाकोटी सारांश

          लेखक दिसंबर महीने के सन् 1999 में त्रिपुरा की राजधानी अगरतला गए थे। वहाँ लेखक को  ‘ऑन द रोड’ शीर्षक से तीन खंडों वाली एक टी.वी. शृंखला बनाना था। लेखक का इस यात्रा के पीछे जो बुनियादी विचार था, वह त्रिपुरा की पूरी लंबाई में आर-पार जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-44 से यात्रा करना और त्रिपुरा से सम्बन्धित विकास की सभी गतिविधियों के बारे में जानकारी देना था।

          भारत के सबसे छोटे राज्यों में से एक त्रिपुरा राज्य है। इस राज्य की जनसंख्या वृद्धि दर 34 प्रतिशत है, जो बहुत ज्यादा है। यह त्रिपुरा राज्य बांग्लादेश से तीन तरफ़ से घिरा हुआ है और बाकी भारत के दो राज्य मिजोरम और असम (उत्तर-पूर्वी सीमा) से घिरा हुआ है। बेलोनिया, सबरूम, कैलासशहर, सोनामुरा ये सब त्रिपुरा के महत्वपूर्ण शहर हैं, जो बांग्लादेश की सीमा के काफ़ी नजदीक हैं। अगरतला सीमा चौकी से करीब दो किलोमीटर ही दूर है। यहाँ बांग्लादेश के लोगों का अवैध आना जाना भी बहुत ज्यादा है। यहाँ पर बाहरी लोगों की जनसंख्या इतनी ज्यादा हो गई है कि यहाँ के मूल निवासी आदिवासियों की संख्या उसके मुकाबले कम होती जा रही है। इसी कारण त्रिपुरा के आदिवासियों में असंतोष बढ़ता जा  रहा है। लेखक अपना पूरा यात्रा-वृत्तांत सुनाने में पहले तीन दिनों की चर्चा करते हैं, जो अगरतला के इर्द-गिर्द ही शूटिंग की गई थी। इसी दौरान लेखक ने ‘उज्जयंत महल’ की भी चर्चा की जो अगरतला का मुख्य महल है और अब उसी महल में त्रिपुरा की राज्य विधानसभा बैठती है। लेखक यह बताते हैं कि त्रिपुरा में लगातार बाहर के लोगों के आने से कुछ समस्याएँ तो पैदा हुई हैं, लेकिन इससे यह लाभ भी हुआ  है कि राज्य बहुधार्मिक समाज का उदाहरण बन गया है। त्रिपुरा में उन्नीस अनुसूचित जनजातियों पायी जाती है और यहाँ विश्व के चारों बड़े धर्मों का प्रतिनिधित्व भी मौजूद है।

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अगरतला के बाद लेखक टीलियामुरा का वर्णन करते हैं। यह एक कस्बा है जो कि एक बड़ा-सा  गाँव ही है। यहीं पर लेखक की मुलाकात त्रिपुरा के एक प्रसिद्ध लोकगायक हेमंत कुमार जमातिया से होती है, जिन्हें सन् 1906 ई. में संगीत के क्षेत्र में नाटक अकादमी पुरस्कार मिल चुका है। हेमंत कोकबारोक बोली में गीत गाते हैं, जो त्रिपुरा की कबीलाई बोलियों में से एक है। वहीं टीलियामुरा शहर के वार्ड नं. 3 में लेखक की मुलाकात एक और गायक मंजु ऋषिदास से होती है। ऋषिदास त्रिपुरा में पाये जाने वाले मोचियों (जूते बनाने वालों) के एक समुदाय का नाम है। इस समुदाय के लोग जूते बनाने के साथ-साथ तबला और ढोल का बानने का भी काम करते हैं। मंजु ऋषिदास एक आकर्षक महिला थीं और वह रेडियो कलाकार होने के साथ-साथ नगर पंचायत में अपने वार्ड का प्रतिनिधित्व भी करती थीं। उन्होंने लेखक के लिए दो गीत भी गाए थे।

          लेखक ने त्रिपुरा में उपस्थित प्राकृतिक दृश्यों की छटा का वर्णन करते हुए यह कहा है-“त्रिपुरा की प्रमुख नदियों में से एक मनु नदी है जिसके किनारे स्थित एक छोटा कस्बा मनु है। जिस वक्त हम मनु नदी के पार जाने वाले पुल पर पहुंचे थे, तभी सूर्य मनु के जल में अपना सोना उड़ेल रहा था।” लेखक त्रिपुरा जिले में जब प्रवेश कर गए तो उन्होंने वहाँ की लोकप्रिय घरेलू गतिविधियों में से एक-अगरबत्तियों के लिए बनायी जाने वाली बाँस की पतली सीके तैयार करने वाले घरेलू उद्योग का भी मुआयना किया। बाँस की इन पतली सीकों को अगरबत्तियाँ बनाने के लिए कर्नाटक और गुजरात भेजा जाता है। उत्तरी त्रिपुरा जिले का मुख्यालय कैलासशहर है, जो बांग्लादेश की सीमा के काफी करीब है।

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          त्रिपुरा में एक स्थान है जिसका नाम ‘उनाकोटी’ है, जिसके बारे में लेखक कुछ भी नहीं जानते थे। लेखक को उस जगह की विशेष जानकारी वहाँ के जिलाधिकारी से प्राप्त होती है। उनाकोटी का मतलब होता है एक कोटि यानी कि एक करोड़ से एक कम। इस दंतकथा के अनुसार उनाकोटी में शिव जी की एक करोड़ से एक कम मूर्तियाँ पायी जाती हैं। विद्वानों का मानना है कि यह जगह दस वर्ग किलोमीटर से कुछ ज्यादा क्षेत्र में फैली है और पाल शासन के दौरान नवीं से बारहवीं सदी तक के तीन सौ वर्षों में यहाँ चहल-पहल रहा करती थी। पहाड़ों को अंदर से काटकर यहाँ पर बड़ी-बड़ी आधार की मूर्तियाँ बनी हैं। एक विशाल चट्टान पर ऋषि भगीरथ की प्रार्थना पर स्वर्ग से पृथ्वी पर गंगा के अवतरण के पौराणिक कथा को चित्रित करती है। गंगा अवतरण के धक्के से कहीं पृथ्वी फँसकर पाताल लोक में न चली जाए, इसलिए शिव जी को इसके लिए तैयार किया गया कि वे अपनी जटाओं में गंगा को उलझा लें और इसके बाद इसे पृथ्वी पर धीरे-धीरे बहने दें। एक पूरे चट्टान पर शिव जी का चेहरा बना है और उनकी जटाएँ दो पहाड़ों की चोटियों पर फैली हुई हैं। शिव जी की यह भारत में सबसे बड़ी आधार मूर्ति है। पूरे वर्ष बहने वाला एक जलप्रपात पहाड़ों से गिरता है, जिसे गंगा जितना ही पवित्र माना जाता है। यह का पूरा क्षेत्र ही देवी-देवताओं की मूर्तियों से भरा पड़ा है।

          स्थानीय आदिवासियों का यह मानना है कि इन मूर्तियों का निर्माता कल्लू कुम्हार था। वह पार्वती जी का सच्चा भक्त था और शिव-पार्वती जी के साथ उनके निवास स्थान कैलाश पर्वत पर जाना चाहता था। पार्वती जी के कोशिश करने पर शिव जी कल्लू को कैलाश पर्वत पर ले जाने के लिए तैयार हो गए लेकिन इसके लिए एक शर्त रखी गई कि उसे एक रात में शिव जी की एक कोटि (करोड़) मूर्तियाँ बनानी होंगी। अपनी धुन का पक्का कल्लू कुम्हार मूर्तियाँ बानने के काम में लग गया। लेकिन जब भोर हुई तो एक कोटि मूर्तियाँ में से एक मूर्ति कम निकलीं। कल्लू नाम की इस मुसीबत से अपना पीछा छुड़ाने के लिए शिव जी ने इसी बात का बहाना बनाते हुए अपनी मूर्तियों के साथ कल्लू कुम्हार को उनाकोटी में ही छोड़ दिया और स्वयं कैलाश पर्वत चलते बने।

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          उपर्युक्त दंतकथा के आधार पर ही लेखक ने इस पाठ का शीर्षक ‘कल्लू कुम्हार की उनाकोटी’ रखना उचित समझा। इस शीर्षक से त्रिपुरा के भौगोलिक, सामाजिक वातावरण और धार्मिक दंतकथा पर दृष्टिपात करने में सहायता मिलती है।

Kallu Kumhar Ki Unakoti Question Answer | कल्लू कुम्हार की उनाकोटी प्रश्न-उत्तर

पूरकपुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. ‘उनाकोटीका अर्थ स्पष्ट करते हुए बतलाएँ कि यह स्थान इस नाम से क्यों प्रसिद्ध है?

अथवा

कल्लू कुम्हार का नाम उनाकोटी के साथ किस प्रकार जुड़ गया?

उत्तर : Read More

        इस पोस्ट के माध्यम से हम संचयन भाग-1 के कक्षा-9 का पाठ-3 (NCERT Solutions for Class-9 Hindi Sanchayan Bhag-1 Chapter-3) कल्लू कुम्हार की उनाकोटी पाठ कासारांश (Kallu Kumhar Ki Unakoti Summary ) के बारे में जाने जो कि के. बिक्रम सिंह (K. Vikram Singh)  द्वारा लिखित हैं । उम्मीद करती हूँ कि आपको हमारा यह पोस्ट पसंद आया होगा। पोस्ट अच्छा लगा तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूले। किसी भी तरह का प्रश्न हो तो आप हमसे कमेन्ट बॉक्स में पूछ सकतें हैं। साथ ही हमारे Blogs को Follow करे जिससे आपको हमारे हर नए पोस्ट कि Notification मिलते रहे।

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