Kaidi Aur Kokila Class 9 Explanation | कैदी और कोकिला कविता का भावार्थ | NCERT Solutions for Hindi Class 9 Kshitij Chapter 12
आज हम आप लोगों को क्षितिज भाग 1 कक्षा-9 पाठ-12 (NCERT Solutions for hindi class 9 kshitij bhag-1 Chapter – 12) कैदी और कोकिला काव्य खंड के भावार्थ (Kaidi Aur Kokila Summary ) बारे में बताने जा रहे है। इसके अतिरिक्त यदि आपको और भी NCERT हिन्दी से सम्बन्धित पोस्ट चाहिए तो आप हमारे website के Top Menu में जाकर प्राप्त कर सकते हैं।
कैदी और कोकिला का सारांश – Kaidi Aur Kokila Summary
कवि ने इस कविता को जिसका नाम है “कैदी और कोकिला” उस समय लिखी थी, जब हमारा देश ब्रिटिश शासन के अधीन गुलामी के जंजीरों में जकड़ा हुआ था। वे खुद भी एक स्वतंत्रता सेनानी थे, जिस वजह से उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा। जेल में जाने के पश्चात उन्हें इस बात का पता चला की, जेल जाने के बाद स्वतंत्रता सेनानियों के साथ कितना दुर्व्यवहार किया जाता है। इसी सोच को उस समय सभी जनता के सामने लाने के लिए उन्होंने इस कविता की रचना की।
अपनी इस कविता में कवि ने जेल में बंद एक स्वतंत्रता सेनानी के साथ-साथ एक कोयल का भी वर्णन किया है। इस कविता में कवि हमें जेल में मिल रही उस समय की यातनाओं के बारे में बता रहे है। कवि (कैदी) के अनुसार, जहाँ पर चोर-डाकुओं को रखा जाता है, वहाँ उन्हें (स्वतंत्रता सेनानियों) को रखा गया है। उन्हें भर-पेट भोजन भी नसीब नहीं होता। ना वह रो सकते हैं और ना ही चैन की नींद सो सकते हैं। जेल में उन्हें बेड़ियाँ और हथकड़ियाँ पहन कर रहना पड़ता है। वहां उन्हें ना तो चैन से जीने दिया जाता है और ना ही चैन से मरने दिया जाता है। ऐसे में, कवि चाहते हैं कि यह कोयल समस्त देशवासियों को मुक्ति का गीत सुनाये।
Kaidi Aur Kokila Bhavarth in Hindi – कैदी और कोकिला कविता का अर्थ
(1)
क्या गाती हो?
क्यों रह-रह जाती हो?
कोकिल बोलो तो!
क्या लाती हो?
संदेशा किसका है?
कोकिल बोलो तो!
भावार्थ :- उपर्युक्त पंक्तियों में कवि ने कारागार (जेल) में बंद स्वतंत्रता सेनानियों की मनोस्थिति और पीड़ा को दर्शाया है। जब कवि रात के घोर अंधेरे में कारागृह के ऊपर एक कोयल को गीत गाते हुए सुनते है, तब कवि के मन में कई प्रकार के भाव एवं प्रश्न उत्पन्न होने लगते हैं। उन्हे ऐसा प्रतीत होता है कि कोयल उनके लिए कोई प्रेरणा के स्रोत से भरा हुआ संदेश लेकर आयी है।
कवि अपने मन में उपस्थित सभी प्रश्न कोयल से पूछ देते है कि कोयल! तुम क्या गा रही हो? फिर गाते-गाते तुम बीच-बीच में चुप क्यों हो जाती हो। कवि कोयल से कहते है – हे कोयल! ज़रा तुम बताओ तो, क्या मेरे लिए कोई संदेश लेकर आयी हो? यदि किसी प्रकार का संदेश लेकर तुम हमारे लिए आयी हो, तो उसे कहते हुए बार-बार चुप क्यों हो जा रही हो और यह संदेश तुम्हें कहाँ से प्राप्त हुआ है, ज़रा मुझे भी तो बताओ।
(2)
ऊँची काली दीवारों के घेरे में,
डाकू, चोरों, बटमारों के डेरे में,
जीने को देते नहीं पेट-भर खाना,
मरने भी देते नहीं, तड़प रह जाना!
जीवन पर अब दिन-रात कड़ा पहरा है,
शासन है, या तम का प्रभाव गहरा है?
हिमकर निराश कर चला रात भी काली,
इस समय कालिमामयी जगी क्यूँ आली?
भावार्थ :- प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने अंग्रेज़ों द्वारा किए गए अत्यचार एवं उनके काले कारनामों को जनता के सामने प्रस्तुत किया है। पराधीन भारत में, जेल में बंद स्वतंत्रता सेनानी और उनके ऊपर होने वाले अत्याचार एवं अपनी दयनीय स्थिति का वर्णन करते हुए कहते है कि उन्हें जेल के अंदर अंधेरे में काली और ऊँची दीवारों के बीच में डाकू, चोरों-उचक्कों के साथ रहना पड़ रहा है। जहाँ उन सेनानियों के साथ कोई मान सम्मान नहीं होता है।
उन्हें जीवन व्यतीत करने के लिए पेट-भर खाना भी नहीं दिया जाता और ना ही उन्हें मरने दिया जाता है। यानि कि उन कैदियों को तड़पा-तड़पा कर जीवित रखना ही प्रशासन का उद्देश्य है। इस प्रकार उनकी पूरी स्वतंत्रता ही उनसे छीन ली गई है और उनके ऊपर हर समय कड़ा पहरा लगा होता है।
उन कैदियों के साथ अंग्रेजी शासन बहुत अन्याय कर रहे है, अंग्रेज़ों के शासनकाल में जेल में बंद स्वतंत्रता सेनानी को आकाश में भी घनघोर अंधकार रूपी निराशा दिख रही है, जहाँ न्याय रूपी चंद्रमा का थोड़ा-सा भी प्रकाश उपस्थित नहीं है। इसलिए स्वतंत्रता सेनानी के माध्यम से कवि कोयल से पूछते है – हे कोयल! इतनी रात को तुम क्यों जाग रही हो और दूसरों को क्यों जगा रही हो ? क्या तुम कोई संदेश लेकर आयी हो?
(3)
क्यों हूक पड़ी?
वेदना बोझ वाली-सी;
कोकिल बोलो तो!
क्या लूटा?
मृदुल वैभव की
रखवाली-सी,
कोकिल बोलो तो!
भावार्थ :- इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कोयल की आवाज में उपस्थित दर्द को महसूस कर रहे थे कि शायद कोयल को भी जेल में बंद भारतीयों की वेदनाओं का एहसास रहा था। उसे ऐसा लगता है कि कोयल ने अँग्रेज़ सरकार द्वारा किये जाने वाले अत्याचार को देख लिया है। इसीलिए उसके कंठ से मीठी एवं मधुर ध्वनि की जगह वेदना के स्वर सुनाई पड़ रहे है, जिसमें कोयल के दर्द की हूक शामिल है। कवि के अनुसार कोयल अपनी वेदना सुनाना चाहती है।
इसीलिए कवि कोयल से पूछ रहे है – कोयल! तुम बताओ तो मुझे कि तुम्हारा क्या लूट गया है, जो तुम्हारे गले से वेदना की ऐसी हूक सुनाई दे रही है? कोयल तो अपनी सबसे मीठी एवं सुरीली आवाज के लिए सभी जगह विख्यात है, जिसे गाते हुए सुनकर कोई भी मनुष्य कहीं भी प्रसन्न हो जाता है। लेकिन जेल में बंद स्वतंत्रता सेनानी को कोयल की आवाज़ न ही सुरीली और न ही मीठी लगी, बल्कि उसे कोयल की आवाज़ में वेदना और दुःख की अनुभूति हुई। इसीलिए वह व्याकुल हो गए और कोयल से बार-बार प्रश्न पूछने लगे कि बताओ कोयल तुम्हारे ऊपर क्या विपदा आई है?
(4)
क्या हुई बावली?
अर्धरात्रि को चीखी,
कोकिल बोलो तो!
किस दावानल की
ज्वालाएँ हैं दीखीं?
कोकिल बोलो तो!
भावार्थ :-कवि इस पंक्ति के माध्यम से यह बताना चाह रहे है कि जेल में उपस्थित स्वतंत्रता सेनानी को कोयल का इस प्रकार आधी रात के अंधकार में गाना (चीखना), बड़ा ही अस्वाभाविक लग रहा है। इसी कारण कवि उस कोयल को बावली कहते हुए उससे पूछ रहे है कि तुम्हें क्या हुआ है? तुम इस तरह आधी रात में क्यों चीख रही हो? क्या तुमने जंगल में लगी हुई आग देख ली है? यहाँ पर कवि ने जंगल की भयावह आग के रूप में अंग्रेज़ी सरकार की यातनाओं की तरफ इशारा किया है। उन्हें ऐसा लग रहा है कि कोयल ने अंग्रेज़ी सरकार की हैवानियत देख ली है, इसलिए वह चीख-चीख कर ये बात सबको बता रही है।
काव्य खंड | |
भावार्थ | प्रश्न–उत्तर |
कबीर दास की साखियाँ | प्रश्न-उत्तर |
वाख | प्रश्न उत्तर |
सवैये | प्रश्न-उत्तर |
(5)
क्या? –देख न सकती जंजीरों का गहना?
हथकड़ियाँ क्यों? यह ब्रिटिश-राज का गहना,
कोल्हू का चर्रक चूँ?- जीवन की तान,
गिट्टी पर अँगुलियों ने लिखे गान!
हूँ मोट खींचता लगा पेट पर जूआ,
खाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का कूँआ।
दिन में करुणा क्यों जगे, रुलानेवाली,
इसलिए रात में गज़ब ढा रही आली?
भावार्थ :– प्रस्तुत पंक्ति द्वारा कवि को यह लगता है कि कोयल उसे जंजीरों में बंधा हुआ देखकर चीख पड़ी है। इसलिए कैदी कोयल से कहता है – क्या आप हमें इस प्रकार जंजीरों में लिपटा हुआ नहीं देख सकती? अरे, यह तो एक गहना है जो अंग्रेजी सरकार द्वारा दिया गया है।
अब तो कोल्हू के चलने की आवाज भी हमारे जीवन का प्रेरणा-गीत बन गया है। दिन-भर इस पत्थर को तोड़ते-तोड़ते हम उन सभी पत्थरों पर अपनी उंगलियों से भारत की स्वतंत्रता के गाने लिख रहे हैं। हम अपने पेट पर रस्सी बांध कर कोल्हू का चरखा चला-चला कर, ब्रिटिश सरकार की अकड़ के कुआँ को खाली कर रहे हैं।
अर्थात् हम इतनी यातनाएं सहने और भूखे रहने के बाद भी अंग्रेज़ी शासन के सामने नहीं झुक रहे हैं, जिससे उनकी अकड़ ज़रूर कम हो जाएगी। इसी वजह से हर दिन हमारे अंदर यातनाओं को सहने का आत्मबल आ जाता है, इसी आत्मबल के कारण हमारे अंदर न ही कोई करुणा उत्पन्न नहीं होती है और ना ही हम कभी रोते हैं। शायद तुम्हें यह बात पता चल गई है, इसीलिए शायद तुम मुझे रात में सांत्वना देने आयी हो। परन्तु, तुम्हारे इस वेदना भरे स्वर ने मेरे ऊपर ग़जब ढा दिया है और मेरे मन को व्याकुल कर दिया है।
(6)
इस शांत समय में,
अंधकार को बेध, रो रही क्यों हो?
कोकिल बोलो तो!
चुपचाप, मधुर विद्रोह-बीज
इस भाँति बो रही क्यों हो?
कोकिल बोलो तो!
भावार्थ :- आगे कवि कोयल से कहता है कि इस आधी-रात्रि में तुम अँधेरे को चीरते हुए इस तरह क्यों रो रही हो? हे कोयल तुम बोलो तो, क्या तुम हमारे अंदर उपस्थित विद्रोह की भावना को अंग्रेज़ी सरकार के ख़िलाफ़ जगाना चाहती हो? इस तरह कवि ने जेल में कैद एक स्वतंत्रता सेनानी के मन की दशा का वर्णन किया है कि किस प्रकार कोयल यह गीत गा-गा कर भारतीयों में देश-प्रेम एवं देशभक्ति की भावना को मजबूत बनाना चाहती है, ताकि वे अंग्रेजों द्वारा कैद किए गए स्वतंत्रता सेनानियों को मुक्ति दिला सकें।
(7)
काली तू, रजनी भी काली,
शासन की करनी भी काली,
काली लहर कल्पना काली,
मेरी काल कोठरी काली,
टोपी काली, कमली काली,
मेरी लौह-श्रृंखला काली,
पहरे की हुंकृति की ब्याली,
तिस पर है गाली, ऐ आली!
भावार्थ :- प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने अंग्रेज़ी शासन-काल के दौरान चल रहे जेलों में बंद स्वतंत्रता सेनानियों के अत्याचार का वर्णन किया है। हमारे समाज में काले रंग को दुःख और अशांति माना गया है। इसीलिए कवि ने यहाँ पर काले रंग से हर एक चीज को दर्शाया है। कवि कैदी के माध्यम से कह रहा है कि कोयल तुम तो खुद ही काली हो, ये अंधेरी रात भी पूरी काली है और ठीक इसी तरह अंग्रेज़ी सरकार द्वारा की जाने वाली सभी करतूतें भी काली है और जेल की चारदीवारी के अंदर चलने वाली हवा भी काली है।
मैंने जो टोपी पहनी हुई है, जो कम्बल मैं ओढ़ता हूँ, जो लोहे की जंजीरें पहन रखी हैं, यह सब काली है और इसी वजह से हमारे अंदर उत्पन्न होने वाली कल्पनाएं भी काली हो गई हैं। अंग्रेजी सरकार की इतनी सारी यातनाओं को सहने के बाद भी हमें हमारे ऊपर पूरा दिन नजर रखने वाले पहरेदारों की हुंकार और गाली भी सुननी पड़ती हैं। जो किसी काले रंग के सांप की भाँति हमें डँसने को दौड़ती हैं।
(8)
इस काले संकट-सागर पर
मरने की, मदमाती!
कोकिल बोलो तो!
अपने चमकीले गीतों को
क्योंकर हो तैराती!
कोकिल बोलो तो!
भावार्थ :- कवि यह बिल्कुल भी नहीं समझ पा रहा है कि कोयल आजाद होने के बाद भी इस अँधेरी आधी रात में कारागार के ऊपर मंडराकर अपनी मधुर आवाज़ में गीत क्यों गा रही है। क्या वह इस संकट में अपने आपको को इसलिए ले आयी है कि उसने मरने की सोच ली है। यदि वह कोयल यही सोच रही है तो उसका कोई लाभ होने वाला नहीं है। इसलिए कैदी कोयल से पूछ रहा है – हे कोयल! बताओ तुम क्यों इस विपरीत परिस्थिति में भी आज़ादी की भावना को जगाने वाले गीत गा रही हो?
(9)
तुझे मिली हरियाली डाली,
मुझे नसीब कोठरी काली!
तेरा नभ-भर में संचार
मेरा दस फुट का संसार!
तेरे गीत कहावें वाह,
रोना भी है मुझे गुनाह!
देख विषमता तेरी-मेरी,
बजा रही तिस पर रणभेरी!
भावार्थ :- प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने स्वतंत्र उड़ रहे कोयल एवं जेल में बंद कैदी की मनःस्थिति की तुलना बड़े ही मार्मिक ढंग से की है। जहाँ एक तरफ कोयल पूरी स्वतंत्रता के साथ किसी भी पेड़ की डाली में जाकर बैठ सकती है। किसी भी जगह पर वह विचरण कर सकती है और अपने पसंदीदा गीत गा सकती है। वहीँ दूसरी तरफ हम सभी स्वतंत्रता सेनानियों को कैदी के रूप में अंधकार से भरी हुई 10 फुट की जेल की चारदीवारी है। जिसके अंदर ही हमें अपना जीवन व्यतीत करना है, हम वहाँ अपनी इच्छानुसार कुछ भी नहीं कर सकते है।
कोयल के मधुर गाने को सुनकर सभी लोग वाह-वाह की तरीफ़े करते हैं। वहीँ किसी कैदी के रोने पर कोई सुनता तक नहीं है। इस प्रकार, कैदी और कोयल की परिस्थिति में ज़मीन-आसमान का अंतर है, परंतु फिर भी कोयल युद्ध का गीत क्यों गा रही है? कैदी कोयल से यही जानना चाहता है कि आखिर इस तरह कोयल को रहस्यमय ढंग से गाने का क्या मतलब है?
(10)
इस हुंकृति पर,
अपनी कृति से और कहो क्या कर दूँ?
कोकिल बोलो तो!
मोहन के व्रत पर,
प्राणों का आसव किसमें भर दूँ!
कोकिल बोलो तो!
भावार्थ :- प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने कोयल और कैदी दोनों के अंदर उपस्थित स्वतंत्रता की प्रबल भावना को दर्शाया है। जिस तरह कोयल अपने जोशीले गीत के माध्यम से देशवासियों के मन में विद्रोह की भावना को जागृत कर रही है, उसी तरह कैदी भी स्वंत्रता प्राप्ति के लिए लगातार अंग्रेज़ी सरकार की यातनायें सहन कर रहे है। इसीलिए कवि ने यहाँ कोयल के स्वर को कैदी के लिए आजादी का संदेश बताया है। जिसे सुनकर कैदी कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाए।
इसलिए इन पंक्तियों में कैदी कोयल से पूछ रहा है कि हे कोयल! तुम मुझे बताओ कि मैं गांधी जी द्वारा चलाये गए इस स्वतंत्रता संग्राम में किस तरह अपने प्राण झोंक दूँ? मैं तम्हारे संगीत को सुनकर अपनी रचनाओं के द्वारा क्रान्ति की ज्वाला भड़काने वाली अग्नि तो पैदा कर रहा हूँ, लेकिन तुम मुझे बताओ कि मैं देश की आज़ादी के लिए और क्या कर सकता हूँ?
Kaidi Aur Kokila Question Answer | कैदी और कोकिला प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1: कोयल की कूक सुनकर कवि की क्या प्रतिक्रिया थी?
उत्तर : Read More
इस पोस्ट के माध्यम से हम क्षितिज भाग 1 कक्षा-9 पाठ-12 (NCERT Solutions for hindi class 9 kshitij bhag-1 Chapter -12) कैदी और कोकिला काव्य खंड के भावार्थ (Kaidi Aur Kokila Summary ) के बारे में जाना । उम्मीद करती हूँ कि आपको हमारा यह पोस्ट पसंद आया होगा। पोस्ट अच्छा लगा तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूले। किसी भी तरह का प्रश्न हो तो आप हमसे कमेन्ट बॉक्स में पूछ सकतें हैं। साथ ही हमारे Blogs को Follow करे जिससे आपको हमारे हर नए पोस्ट कि Notification मिलते रहे।
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कृतिका भाग-1 ( गद्य खंड ) | ||
सारांश | प्रश्न-उत्तर | |
अध्याय- 1 | इस जल प्रलय में | प्रश्न-उत्तर |
अध्याय- 2 | मेरे संग की औरतें | प्रश्न-उत्तर |
अध्याय- 3 | रीढ़ की हड्डी | प्रश्न-उत्तर |
अध्याय- 4 | माटी वाली | प्रश्न-उत्तर |
अध्याय- 5 | किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया | प्रश्न-उत्तर |
क्षितिज भाग -1 ( गद्य खंड ) |
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सारांश | प्रश्न-उत्तर | |
अध्याय- 1 | दो बैलों की कथा | प्रश्न -उत्तर |
अध्याय- 2 | ल्हासा की ओर | प्रश्न -उत्तर |
अध्याय- 3 | उपभोक्तावाद की संस्कृति | प्रश्न -उत्तर |
अध्याय- 4 | साँवले सपनों की याद | प्रश्न -उत्तर |
अध्याय- 5 | नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया | प्रश्न -उत्तर |
अध्याय- 6 | प्रेमचंद के फटे जूते | प्रश्न-उत्तर |
अध्याय- 7 | मेरे बचपन के दिन | प्रश्न-उत्तर |
अध्याय- 8 | एक कुत्ता और एक मैना | |
संचयन भाग 1 | ||
सारांश | प्रश्न-उत्तर | |
अध्याय- 1 | गिल्लू | प्रश्न-उत्तर |
अध्याय- 2 | स्मृति | प्रश्न-उत्तर |
अध्याय- 3 | कल्लू कुम्हार की उनाकोटी | प्रश्न-उत्तर |
स्पर्श भाग – 1 | ||
सारांश | प्रश्न-उत्तर | |
अध्याय- 1 | दुःख का अधिकार | प्रश्न-उत्तर |
अध्याय- 2 | एवरेस्ट मेरी शिखर यात्रा | प्रश्न-उत्तर |
अध्याय- 3 | तुम कब जाओगे, अतिथि | प्रश्न-उत्तर |