Hamid Khan Question Answer | हामिद खाँ प्रश्न-उत्तर | NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 5 Question Answer
आज हम आप लोगों को संचयन भाग-1 के कक्षा-9 का पाठ-5 (NCERT Solutions for Class-9 Hindi Sanchayan Bhag-1 Chapter-5) के हामिद खाँ पाठ का प्रश्न-उत्तर (Hamid Khan Question Answer) के बारे में बताने जा रहे है जो कि एस॰ के॰ पोत्ताकट (SK Pottekkatt) द्वारा लिखित है। इसके अतिरिक्त यदि आपको और भी NCERT हिन्दी से सम्बन्धित पोस्ट चाहिए तो आप हमारे website के Top Menu में जाकर प्राप्त कर सकते हैं।
Hamid Khan Question Answer | हामिद खाँ प्रश्न-उत्तर
प्रश्न 1: लेखक का परिचय हामिद खाँ से किन परिस्थितियों में हुआ?
उत्तर : एक बार लेखक गर्मियों के महीने में तक्षशिला (पाकिस्तान) के खंडहर को देखने गये थे। बहुत ज्यादा गर्मी होने के कारण लेखक का भूख प्यास से बुरा हाल हो रहा था। खाने की तलाश में लेखक रेलवे स्टेशन से आगे बसे एक गाँव की ओर चल दिए। वहाँ पर तंग बाजार और गंदी गलियों से भरा जगह था, वहाँ पर खाने पीने का एक भी होटल या दुकान दिखाई नहीं दे रहा था। लेखक भूख और प्यास से परेशान हो रहे थे। तभी एक दुकान से गरमा-गरम रोटियों की खुशबू आ रही थीं जिसकी खुशबू से लेखक की भूख और भी बढ़ती जा रही थी। वह उसी दुकान में चले गये और वहाँ खाने के लिए खाना माँगे। वहीं पर लेखक का हामिद खाँ से परिचय हुआ। हामिद खाँ से बातचीत करते समय एक दूसरे की भावना का पता चला और प्रेम से वशीभूत होकर एक दूसरे के अच्छे मित्र बन गए।
प्रश्न 2: ‘काश मैं आपके मुल्क में आकर यह सब अपनी आँखों से देख सकता।’ हामिद ने ऐसा क्यों कहा?
उत्तर : हामिद खाँ को जब पता चला कि लेखक हिंदू है तो हामिद ने पूछा कि क्या आप हमारे इस मुसलमानी होटल में खाना खाएँगे। तब लेखक ने बताया कि हमारे हिंदुस्तान में तो हिंदू–मुसलमान के बीच कोई अंतर नहीं है। यदिअच्छा पुलाव खाना हो तो हम सब मुसलमानी होटल में ही जाते हैं। हमारे यहाँ तो पहला मस्जिद भी कोडुंगल्लूर हिंदुस्तान में ही बना है। वहाँ हिंदू–मुसलमानों के बीच दंगे भी नहीं होते। सब एक साथ मिलजुल कर रहते हैं। हामिद खाँ को लेखक की इन सब बातों पर एकदम विश्वास नहीं होता है फिर भी लेखक के बोलने में उन्हें सच्चाई नज़र आती है। हामिद खाँ ऐसी जगह जाकर, स्वयं देखकर तसल्ली करना चाहते थे।
प्रश्न 3: हामिद को लेखक की किन बातों पर विश्वास नहीं हो रहा था?
उत्तर : लेखक हामिद खाँ से कहते है कि हमारे यहाँ तो बढ़िया खाना खाने लोग मुसलमानी होटल जाते हैं। वहाँ पर हिंदू–मुसलमान में कोई फर्क नहीं होता है। हिंदू–मुसलमान के बीच दंगे भी न के बराबर होते हैं, यह बात सुनकर हामिद को विश्वास नहीं होता है। वह लेखक के यहाँ आकार अपनी आँखों से यह सब देखना चाहते थे।
प्रश्न 4: हामिद खाँ ने खाने का पैसा लेने से इंकार क्यों किया?
उत्तर : हामिद खाँ को इस बात की खुशी थी कि एक हिंदू व्यक्ति ने उनके होटल में आकर खाना खाया है। साथ ही वह लेखक को अपना मेहमान भी मान रहे थे। हामिद खाँ को जब यह पता चलता है कि लेखक के यहाँ हिंदू–मुस्लिम मिलजुल कर रहते है तो वह उनकी एकता का भी कायल हो गये थे। इसलिए हामिद खाँ ने लेखक से खाने के पैसे नहीं लिए।
संचयन भाग 1 |
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सारांश | प्रश्न-उत्तर | |
अध्याय- 1 | गिल्लू | प्रश्न-उत्तर |
अध्याय- 2 | स्मृति | प्रश्न-उत्तर |
अध्याय- 3 | कल्लू कुम्हार की उनाकोटी | प्रश्न-उत्तर |
अध्याय- 4 | मेरा छोटा सा निजी पुस्तकालय | प्रश्न-उत्तर |
प्रश्न 5: मालाबार में हिंदू-मुसलमानों के परस्पर संबंधों को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर : मालाबार में हिंदू और मुसलमान दोनों हमेशा मिलजुल कर साथ में रहते हैं, उनके बीच आपस में दंगे भी नहीं होते हैं। दोनों के धर्मों के बीच भी कोई भेदभाव नहीं होता है। वहाँ अगर बढ़िया पुलाव खाना हो या चाय पीना हो तो हिंदू भी मुसलमानी होटल में जाते हैं। वहाँ पर आपसी मेलजोल का माहौल है।
प्रश्न 6: तक्षशिला में आगजनी की खबर पढ़कर लेखक के मन में कौन-सा विचार कौंधा? इससे लेखक के स्वभाव की किस विशेषता का परिचय मिलता है?
उत्तर : तक्षशिला में आगजनी की खबर पढ़कर लेखक को हामिद खाँ का ध्यान आता है जहाँ लेखक ने बड़े अपनेपन से खाना खाया था। खबर पढ़ते ही वह मन ही मन कहने लगते है कि भगवान करे हामिद खाँ को उस आगजनी में कुछ ना हो और वो सुरक्षित रहे। लेखक के इसी प्रार्थना से उनके अंदर उपस्थित धार्मिक एकता की भावना का पता चलता है। उनके अंदर हिंदू–मुसलमान में कोई अंतर नहीं था। वह एक अच्छे इंसान है।
हामिद खाँ सारांश | Hamid Khan Summary
एक दिन लेखक समाचार पत्र में एक खबर पढ़ते हैं Read More
इस पोस्ट के माध्यम से हम संचयन भाग-1 के कक्षा-9 का पाठ-5 (NCERT Solutions for Class-9 Hindi Sanchayan Bhag-1 Chapter-5) हामिद खाँ पाठ का प्रश्न-उत्तर (Hamid Khan Question Answer) के बारे में जाने जो कि एस॰ के॰ पोत्ताकट (SK Pottekkatt) द्वारा लिखित हैं । उम्मीद करती हूँ कि आपको हमारा यह पोस्ट पसंद आया होगा। पोस्ट अच्छा लगा तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूले। किसी भी तरह का प्रश्न हो तो आप हमसे कमेन्ट बॉक्स में पूछ सकतें हैं। साथ ही हमारे Blogs को Follow करे जिससे आपको हमारे हर नए पोस्ट कि Notification मिलते रहे।
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कृतिका भाग-1 ( गद्य खंड )
सारांश |
प्रश्न-उत्तर | |
अध्याय- 1 | इस जल प्रलय में | प्रश्न-उत्तर |
अध्याय- 2 | मेरे संग की औरतें | प्रश्न-उत्तर |
अध्याय- 3 | रीढ़ की हड्डी | प्रश्न-उत्तर |
अध्याय- 4 | माटी वाली | प्रश्न-उत्तर |
अध्याय- 5 | किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया | प्रश्न-उत्तर |
क्षितिज भाग –1 ( गद्य खंड )
सारांश |
प्रश्न-उत्तर | |
अध्याय- 1 | दो बैलों की कथा | प्रश्न -उत्तर |
अध्याय- 2 | ल्हासा की ओर | प्रश्न -उत्तर |
अध्याय- 3 | उपभोक्तावाद की संस्कृति | प्रश्न -उत्तर |
अध्याय- 4 | साँवले सपनों की याद | प्रश्न -उत्तर |
अध्याय- 5 | नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया | प्रश्न -उत्तर |
अध्याय- 6 | प्रेमचंद के फटे जूते | प्रश्न-उत्तर |
अध्याय- 7 | मेरे बचपन के दिन | प्रश्न-उत्तर |
अध्याय- 8 | एक कुत्ता और एक मैना | प्रश्न-उत्तर |