Essay on Independence Day in Hindi | स्वतंत्रता दिवस पर निबंध

Essay on Independence Day in Hindi | स्वतंत्रता दिवस पर निबंध

देशभक्ति से ही देश की शान है

देशभक्ति से ही देश की शान है

हम उस देश के फूल है यारों

जिस देश का नाम हिंदुस्तान है

 

स्वतंत्रता दिवस कब और कैसे मनाया जाता है ।। Independence Day Celebration

          भारत में 15 अगस्त बहुत उत्साह और गौरव के साथ मनाया जाता है। 15 अगस्त 1947 को भारत को अंग्रेजों के गुलामी से आजादी मिली थी। तब से हमारे देश  में हर वर्ष 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भारत के प्रधानमंत्री लाल किला पर राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं और सभी सरकारी कार्यालय जैसे बैंक, पोस्ट ऑफिस आदि में अवकाश होता है। इसके साथ ही सभी स्कूल और ऑफिस में तिरंगा फहराया जाता है और निबंध,  कविता, भाषण,  नाटक आदि कई प्रतियोगिता भी आयोजित की जाती है।

स्वतंत्रता दिवस का इतिहास ।। Independence Day History

          आज अगर हम स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) के इतिहास के बारे में बात करे तो आज उन शहीदों की याद में हमारे आंखों में आंसू आ जाते हैं जिन्होंने अपनी जान देकर हमें स्वतंत्रता दिलाई और हमें अंग्रेजो की गुलामी से मुक्त करवाया। ये सभी आजादी को हमें एक उपहार के रूप में देकर शहीद हो गए। अंग्रेजों के अत्याचार और उन से से तंग आकर सभी भारतीय एकजुट हो गए, इन अंग्रेजो से छुटकारा पाने के लिए सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद ने क्रांति की मशाल जलाई और कितने ही देशभक्तों ने अपने प्राणों की आहुति दी। जिनमे महात्मा गाँधी, सरदार बल्लभ भाई पटेल ने सत्य और अहिंसा के सहारे सत्याग्रह आंदोलन चलाया। अंग्रेजों की लाठियाँ खाई और जेल गए।  इन आंदोलनों की वजह से अंग्रेज भारत छोड़कर जाने के लिए मजबूर हो गए और 15 अगस्त 1947 का दिन हमारे देश के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण बन गया और उसके बाद हमे ये स्वर्णिम आजादी मिली।

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          धन्य है वह स्वतंत्रता सेनानी जिन्होंने  शहीद होकर हमें आज स्वतंत्रता का स्वर्णिम  दिन दिखया।

 

स्वतंत्रता सेनानियों का योगदान – Contribution of Freedom Fighter

मंगल पांडेय ।। Mangal Pandey

          भारत के इतिहास में स्वतंत्रता सेनानियों में सबसे पहला नाम मंगल पांडे का आता है। 1857 की लड़ाई के समय से इन्होंने आजादी की लड़ाई छेड़ दी थी और सबको इसमें साथ देने को कहा था। मंगल पांडे ईस्ट इंडिया कंपनी में सैनिक के पद पर थे। 1847 में खबर फैली की ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा जो बन्दुक का कारतूस बनाया जाता है, उसमें गाय की चर्बी का इस्तेमाल होता है, इसे चलाने के लिए कारतूस को मुँह से खीचना पड़ता था, जिससे गाय की चर्बी मुँह में लगती थी, जो हिन्दू मुस्लिम दोनों धर्मो के खिलाफ था। उन्होंने अपनी कंपनी को बहुत समझाने की कोशिश की, लेकिन कुछ नहीं हुआ। 8 अप्रैल 1857 को इनकी मृत्यु हो गई।

चंद्रशेखर आजाद ।। Chandrashekhar Azad

        चंद्रशेखर आजाद अपने नाम की ही तरह आजाद थे, उन्होंने स्वतंत्रता की आग में घी डालने का काम किया था। उनका परिचय इस प्रकार था, चंद्रशेखर आजाद स्वतंत्रता की लड़ाई में युवाओं को आगे आने के लिए हमेशा प्रेरित करते थे, उन्होंने युवा क्रांतिकारीयों की एक फ़ौज खड़ी कर दी थी। उनकी सोच यह थी कि स्वतंत्रता की लड़ाई के लिए हिंसा जरुरी है, इसलिए वे महात्मा गाँधी से अलग कार्य करते थे।  चंद्रशेखर आजाद का खौफ अंगेजों में बहुत था। इन्होंने काकोरी ट्रेन लूटने की योजना बनाई थी और इसे लुटा था। किसी ने इनकी खबर अंग्रेजों को दे दी, जिससे अंग्रेज इन्हें पकड़ने के लिए इनके पीछे पड़ गए।  चंद्रशेखर आजाद किसी अंग्रेज के हाथों नहीं मरना चाहते थे, इसलिए उन्होंने अपने आप को गोली मार ली और शहीद हो गए।

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भगत सिंह  ।। Bhagat Singh

          भगत सिंह का नाम बच्चा-बच्चा जानता है। युवा नेता भगत का जन्म 27 सितम्बर 1907 को पंजाब में हुआ था। इनके पिता और चाचा दोनों स्वतंत्रता की लड़ाई में शामिल थे, जिससे बचपन से ही इनके मन में देश के प्रति लगाव था और वे बचपन से ही अपने देश के लिए कुछ करना चाहते थे। 1921 में इन्होंने असहयोग आन्दोलन में अपनी हिस्सेदारी दी, लेकिन हिंसात्मक प्रवति होने के कारण भगत ने यह छोड़ नौजवान भारत सभा बनाई। जो पंजाब के युवाओं को आजादी में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित करती थी।  चंद्रशेखर आजाद के साथ मिलकर इन्होंने आजादी के लिए बहुत से कार्य किये। 1929 में इन्होंने अपने आप को पकड़वाने के लिए संसद में बम फेंक दिया, जिसके बाद इन्हें 23 मार्च 1931 को राजगुरु और सुखदेव के साथ फांसी की सजा दी गई।

स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) पर कविता ।। Deshprem par Kavita

                   तमन्ना

जी में आता है इस माटी का अरमान हो जाऊँ ,

फरिश्ता हो नहीं सकता मगर इंसान हो जाऊँ ।

जहां मजहब भाषा क्षेत्र की चर्चा नहीं होती ,

इलाही चाहता हूँ खेल का मैदान हो जाऊँ ।

परिंदे उड़ सकें बेखौफ दिल खोल कर अपना ,

खुदा उनकी उड़ानों का मैं आसमान हो जाऊँ ।

हवा मुझको उड़ाकर जाने ले जाये कहाँ यारों ,

चाहता हूँ शहीदों का दीपदान हो जाऊँ ।

लौटा दो आज मथुरा कृष्ण राधा की इबादत का ,

चलो फिर आज मैं कान्हा का रसखान हो जाऊँ ।

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मेरे आँचल से आकर हर कोई बच्चा लिपट जाए ,

तमन्ना है मेरी ऐसा ही हिंदुस्तान हो जाऊँ ।

 

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