Dukh ka Adhikar Question Answer | दुःख का अधिकार प्रश्न-उत्तर | NCERT Solutions for Class 9 Sparsh Chapter 1
आज हम आप लोगों को स्पर्श भाग-1 कक्षा-9 पाठ-1 (NCERT Solutions for Class-9 Hindi Sparsh Bhag-1 Chapter-1) के दुःख का अधिकार पाठ का प्रश्न-उत्तर (Dukh ka Adhikar Question Answer) के बारे में बताने जा रहे है जो कि यशपाल (Yeshpal) द्वारा लिखित है। इसके अतिरिक्त यदि आपको और भी NCERT हिन्दी से सम्बन्धित पोस्ट चाहिए तो आप हमारे website के Top Menu में जाकर प्राप्त कर सकते हैं।
Dukh ka Adhikar Question Answer | दुःख का अधिकार प्रश्न-उत्तर
मौखिक
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए
प्रश्न 1. किसी व्यक्ति की पोशाक को देखकर हमें क्या पता चलता है?
उत्तरः किसी व्यक्ति की पोशाक देखकर हमें उसकी श्रेणी या वर्ग का पता चलता है।
प्रश्न 2. खरबूज़े बेचने वाली स्त्री से कोई खरबूजे क्यों नहीं खरीद रहा था?
उत्तर : खरबूजे बेचने वाली अपने मुँह को कपड़े में छुपाकर सिर को घुटनों में रखे रो रही थी इसलिए लोग उससे खरबूजे नहीं खरीद रहे थे।
प्रश्न 3. उस स्त्री को देखकर लेखक को कैसा लगा?
उत्तर : उस स्त्री को देखकर लेखक का हृदय पीड़ा से भर उठा और वह उसके दुख को जानने के लिए बेचैन हो गया।
प्रश्न 4. उस स्त्री के लड़के की मृत्यु का क्या कारण था?
उत्तर: उस स्त्री के बेटे की मृत्यु का कारण एक साँप का डसना था। जब उस स्त्री का बेटा खरबूजे के खेत में बने हुए मेड़ पर खरबूज़े चुन रहा था, तभी किसी विषधर साँप ने उसे डस लिया था।
प्रश्न 5. बुढ़िया को कोई भी उधार क्यों नहीं देता?
उत्तर : उस स्त्री को उधार देने वाला व्यक्ति कोई भी नहीं था क्योंकि उसके घर में कोई भी कमाने वाला अब नहीं रह गया था।
कृतिका भाग-1 ( गद्य खंड ) | ||
सारांश | प्रश्न–उत्तर | |
अध्याय– 1 | इस जल प्रलय में | प्रश्न-उत्तर |
अध्याय– 2 | मेरे संग की औरतें | प्रश्न-उत्तर |
अध्याय– 3 | रीढ़ की हड्डी | प्रश्न-उत्तर |
अध्याय– 4 | माटी वाली | प्रश्न-उत्तर |
अध्याय– 5 | किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया | प्रश्न-उत्तर |
लिखित
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर ( 25-30 शब्दों में) लिखिए
प्रश्न 1. मनुष्य के जीवन में पोशाक का क्या महत्व है?
उत्तर : पोशाक के माध्यम से मनुष्य को समाज में सम्मान के साथ ऊँचा दर्जा भी मिलता है। इस पोशाक से उसके अधिकार तय होते हैं और जीवन में आगे बढ़ने के लिए नए रास्ते भी खुल जाते हैं, किंतु कभी-कभी पोशाक लोगों की अनुभूतियों को समझने में बाधक बन दुख पहुँचाने का माध्यम भी बन जाती है।
प्रश्न 2. पोशाक हमारे लिए कब बंधन और अड़चन बन जाती है?
उत्तर : पोशाक हमारे लिए तब बंधन और अड़चन बन जाती है जब समाज की निचली श्रेणियों की अनुभूतियों को समझने और उनके सुख-दुखों को बांटने में हमारा सम्मान कम होने लगता है अथवा कम होने की संभावना होती है।
प्रश्न 3. लेखक उस स्त्री के रोने का कारण क्यों नहीं जान पाया?
उत्तर : लेखक एक अच्छी पोशाक पहने हुए थे, जिससे समाज में बनाई अपनी प्रतिष्ठा के बिगड़ जाने का डर था इसलिए उस गरीब और उपेक्षित स्त्री से चाहते हुए भी उसके रोने का कारण नहीं पूछ पाये।
प्रश्न 4. भगवाना अपने परिवार का निर्वाह कैसे करता था?
उत्तर : भगवाना शहर के पास डेढ़ बीघे जमीन पर साग-सब्जी और फल उगाता था। उसी की बिक्री से वह अपने परिवार का भरण-पोषण करता था।
प्रश्न 5. लड़के की मृत्यु के दूसरे ही दिन बुढ़िया खरबूज़े बेचने क्यों चल पड़ी?
उत्तर : लड़के की मृत्यु के दूसरे ही दिन वो बूढ़ी स्त्री इसलिए खरबूजे बेचने के लिए बाहर निकल पड़ी क्योंकि पुत्र की अंतिम-क्रिया में घर में बचे हुए पैसे और सारा राशन खर्च हो गया था। अब सामने रोजी-रोटी का बड़ा संकट था। उसकी बहू बुखार से पूरी तरह तप रही थी और बुढ़िया को अपने पोते-पोतियों के लिए भोजन जुटाना भी जरूरी था।
प्रश्न 6. बुढ़िया के दुख को देखकर लेखक को अपने पड़ोस की संभ्रांत महिला की याद क्यों आई?
उत्तर : बुढ़िया के दुख को देखकर लेखक को अपने पड़ोस में रहने वाली संभ्रांत महिला की घटना इसलिए याद आई क्योंकि उस महिला के धनी होने के कारण लोगों ने उसके पुत्र वियोग के दुख को महत्व दिया था। लोग उस महिला के दुख को देखकर दुखी हुए थे, जबकि गरीब होने के कारण लोग उस बुढ़िया के दुख और मजबूरियों को देखकर उसकी उपेक्षा कर रहे थे और उस पर ताने कस रहे थे। दूसरा कारण यह था कि वह संभ्रात महिला धनी होने के कारण अपने बेटे का दुख मना सकती थी, परंतु यह गरीब बुढ़िया तो शोक भी नहीं मना पाई। इसलिए लेखक को अपने पड़ोस की महिला की याद आ गई।
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए
प्रश्न 1. बाज़ार के लोग खरबूजे बेचने वाली स्त्री के बारे में क्या-क्या कह रहे थे? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर : बाज़ार के लोग खरबूजे बेचने वाली स्त्री के प्रति अपनी घृणा प्रकट की। वे उसे बेहया, कमीनी और बदनीयत कहते हैं और साथ ही कभी बरकत न करने वाली स्त्री कहकर धिक्कारने लगे। उन्होंने उसे एक ऐसी स्त्री कहा जो रोटी के एक टुकड़े के लिए अपने बेटा-बेटी, खसम-लुगाई के संबंधों और धर्म-ईमान तक को भुला दे। सूतक होने पर भी धोखे से खरबूजे बेचकर लोगों का धर्म-ईमान बिगाड़कर अंधेर करने वाली स्त्री कहकर उसकी उपेक्षा की।
प्रश्न 2. पास-पड़ोस की दुकानों से पूछने पर लेखक को क्या पता चला?
उत्तर : पास-पड़ोस की दुकानों से पूछने पर लेखक को यही पता चला कि साँप के काटने से एक दिन पहले बुढ़िया के इकलौते जवान बेटे की मृत्यु हो गई । वह कछियारी करके अपने माँ के साथ बाजार में फल व सब्जी बेचता था। काफ़ी झाड़-फूंक करने के बाद भी वह बच न सका। उनकी मृत्यु के अगले दिन, बच्चे भूख से मर रहे थे और बहू बुखार से तड़प रही थी। जब किसी व्यक्ति ने बुढ़िया को पैसे उधार नहीं दिए तो पुत्र की मृत्यु के शोक को हृदय में दबाए बुढ़िया पुत्र के द्वारा ही तोड़े गए खरबूजों को बेचने के लीये बाजार में आई थी।
प्रश्न 3. लड़के को बचाने के लिए बुढ़िया माँ ने क्या-क्या उपाय किए?
उत्तर : लड़के को बचाने के लिए बूढ़ी माँ ने झाड़-फूंक करवाई, नागदेव की पूजा की और साथ ही घर का सारा आटा-अनाज दान-दक्षिणा में दे दिया। उसने बच्चों और बहू तक के बारे में भी न सोचकर यथासंभव अपने बेटे को बचाने के सब उपाय किए।
प्रश्न 4. लेखक ने बुढ़िया के दुख का अंदाजा कैसे लगाया?
उत्तर : लेखक को बुढ़िया के दुख का अंदाजा उसके पड़ोस में रहने वाली एक संभ्रांत महिला के पुत्र के शोक से हुआ। लगातार ढाई महीने तक दो डाक्टरों की निगरानी में रहने के बाद भी वह महिला हर पंद्रह मिनट में मूर्छित हो जाती थी। वह बिस्तर से उठ नहीं पाती थी और लगातार आँसू बहाती रहती थी। पुत्र के निधन का दुख अर्थ-भेद के आधार पर कम-ज्यादा नहीं होता। परंतु समाज ने निर्धन बुढ़िया को शोक मनाने का भी अधिकार न दिया था।
प्रश्न 5. इस पाठ का शीर्षक ‘दुःख का अधिकार’ कहाँ तक सार्थक है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : इस पाठ का शीर्षक “दु:ख का अधिकार” पूरी तरफ से सार्थक है क्योंकि प्रत्येक मनुष्य को अनेक प्रकार के अधिकार प्राप्त हैं, तो दुख का अधिकार भी उसे प्राप्त होना चाहिए। इस पाठ में बुढ़िया को अपने पुत्र के शोक में रोने-धोने का अवसर नहीं मिल पाता है। लेखक इसे दुख के अधिकार का हनन मानते हैं। इस दुख के अधिकार का हनन हमारे सामाजिक ढाँचे की विसंगति के कारण हुआ है।
(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए
प्रश्न 1. “जैसे वायु की लहरें कटी हुई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देतीं, उसी तरह खास परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुक सकने से रोके रहती है।”
उत्तर : प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक का आशय यह है कि जिस प्रकार पतंग कटने के बाद भी, हवा की लहरें उसे अचानक नीचे गिरने नहीं देती हैं। उसी प्रकार हमारे कपड़े भी स्तर से नीचे के लोगों को सुख और दुःख में शामिल होने से रोकते हैं, यानी हम ऐसा करने में संकोच करते हैं।
प्रश्न 2. “इनके लिए बेटा-बेटी, खसम-लुगाई, धर्म-ईमान सब रोटी का टुकड़ा है।”
उत्तर : इस पक्ति के माध्यम से लेखक यह कहना चाहते हैं कि अक्सर लोग यह समझते हैं कि छोटे लोगों का उद्देश्य मात्र रोजी-रोटी कमाना है। उनके लिए बेटा-बेटी, पति-पत्नी, धर्म-ईमान सब रोटी के आगे-गौण हैं। वे रिश्तों की अहमियत नहीं जानते। जबकि वास्तव में ऐसा नहीं है।
प्रश्न 3. “शोक करने, गम मनाने के लिए भी सहूलियत चाहिए और दुखी होने का भी एक अधिकार होता है।”
उत्तर : लेखक धनी वर्ग एवं गरीब वर्ग के शोक मनाने के उदाहरणों पर विचार करते हैं कि एक वर्ग (धनी) ऐसा है, जिसे शोक मनाने के लिए सहूलियत या सुविधाएँ प्राप्त हैं, दूसरा वर्ग (गरीब) ऐसा है, जिसे कोई सुविधा नहीं मिलती और एक तरह से वह दुख भी नहीं मना सकता। मानो उसे दुख का अधिकार भी प्राप्त नहीं है।
Dukh ka Adhikar Summary | दुःख का अधिकार सारांश
इस कहानी का प्रमुख पात्र एक तेईस साल का युवक है जिसका नाम ‘भगवाना’ है Read More
इस पोस्ट के माध्यम से हम स्पर्श भाग-1 कक्षा-9 पाठ-1 (NCERT Solutions for Class-9 Hindi Sparsh Bhag-1 Chapter-1) के दुःख का अधिकार पाठ का प्रश्न-उत्तर (Dukh ka Adhikar Question Answer) के बारे में जाने जो कि यशपाल (Yeshpal) द्वारा लिखित हैं । उम्मीद करती हूँ कि आपको हमारा यह पोस्ट पसंद आया होगा। पोस्ट अच्छा लगा तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूले। किसी भी तरह का प्रश्न हो तो आप हमसे कमेन्ट बॉक्स में पूछ सकतें हैं। साथ ही हमारे Blogs को Follow करे जिससे आपको हमारे हर नए पोस्ट कि Notification मिलते रहे।
आपको यह सभी पोस्ट Video के रूप में भी हमारे YouTube चैनल Education 4 India पर भी मिल जाएगी।
क्षितिज भाग -1 ( गद्य खंड ) |
||
सारांश | प्रश्न-उत्तर | |
अध्याय- 1 | दो बैलों की कथा | प्रश्न -उत्तर |
अध्याय- 2 | ल्हासा की ओर | प्रश्न -उत्तर |
अध्याय- 3 | उपभोक्तावाद की संस्कृति | प्रश्न -उत्तर |
अध्याय- 4 | साँवले सपनों की याद | प्रश्न -उत्तर |
अध्याय- 5 | नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया | प्रश्न -उत्तर |
अध्याय- 6 | प्रेमचंद के फटे जूते | प्रश्न-उत्तर |
अध्याय- 7 | मेरे बचपन के दिन | प्रश्न-उत्तर |
अध्याय- 8 | एक कुत्ता और एक मैना | |
काव्य खंड | ||
भावार्थ | प्रश्न-उत्तर | |
अध्याय- 9 | कबीर दास की साखियाँ | प्रश्न-उत्तर |
अध्याय- 10 | वाख | प्रश्न उत्तर |
अध्याय- 11 | सवैये | प्रश्न-उत्तर |
संचयन भाग 1 | ||
सारांश | प्रश्न-उत्तर | |
अध्याय- 1 | गिल्लू | प्रश्न-उत्तर |
अध्याय- 2 | स्मृति | प्रश्न-उत्तर |
अध्याय- 3 | कल्लू कुम्हार की उनाकोटी | प्रश्न-उत्तर |
स्पर्श भाग – 1 | ||
सारांश | प्रश्न-उत्तर | |
अध्याय- 1 | दुःख का अधिकार | प्रश्न-उत्तर |
अध्याय- 2 | एवरेस्ट मेरी शिखर यात्रा | प्रश्न-उत्तर |
अध्याय- 3 | तुम कब जाओगे, अतिथि | प्रश्न-उत्तर |